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[ ७२ ] महावीर के चरणों में भौतिक सत्ता का दावानल
वृद्धि गत था भीषण प्रतिपल महामेघ बनकर तू बरसा अति शीतल चन्दन ?
वीर जिन चरणों में वन्दन ? मर्म अहिंसा का समझा कर
किए द्रवित मन हर नारी नर रूका मूक पशुओं का उत्कम्पक करूणा क्रन्दन ?
वीर जिन ? चरणों में वन्दन ? धामिकता पै चढ़ा दम्भ - रंग
न्याय - श्रृंखला हुई अखिल भंग तब प्रयत्न से पुन. सत्य ने पाया अभिनन्दन ?
वीर जिन ? चरणों में वन्दन ? भूला जग बिल्कुल अपना - पन
दैववाद पर बना विकल - मन मानव में तू मानवता का लाया नव सानन्दन ?
वीर जिन ? चरणों में वन्दन ? विश्व शान्ति के अमर प्रशासक
द्वन्दू वैर वैषम्य विनाशक कोटि - कोटि कंठों से गुंजित हुआ 'जयतु त्रिशलानन्दन' ?
वीर जिन ? चरणों में वन्दन ?
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