Book Title: Bhavanjali
Author(s): Amarmuni
Publisher: Veerayatan

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Page 55
________________ [ ४६ ] महावीर चरणों में महावीर जगस्वामी तुमको लाखो प्रणाम ।।ध्र. १ अन्तर में वर करूणा जागी, देखा भारत अतिदुःख भागी वैभव की दुनियाँ त्यागी, तमको लाखो प्रणाम २ दैत्यों का दल वल चल आया, उत्कट संकट घन बरसाया, लेश मात्र ना मन हिर्राया तुमको. । ३ सर्प चण्ड कौशिक फुकारा उग्र दंश चरणों में मारा समझाया प्रेम पियारा, तुमको. ४ बारह वत्सर बन-बन डोले, सब बिचार आचार में तोले, जनता में फिर खोले । तुमको. ५ दुराचार पाखण्ड हटाया, सदाचार पाखण्ड हटाया, धर्मो का द्वन्द हटाया । तुमको. ६ अटल दुर्ग पशु बलि का तोड़ा, जातिवाद का कंठ मरोड़ा पतितों से नाता जोडा । तुमक. ७ देव तुम्हारी महिमा भारी, अमर विश्व की दशा सुधारी त्रिभुवन के मंगल कारी। तुमको. संगी का से ति. ।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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