Book Title: Bhavanjali
Author(s): Amarmuni
Publisher: Veerayatan

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Page 70
________________ [ ६४ ] मौर्य सम्राट चन्द्रगुप्त चाल-तोहिद का डंका आलम में बजवा दिया कमली वालोने भारत में डंका गैरो का अब मै न कभी बजने दूंगा भारत में भारत शत्रु को, अब मै न कभी टिकने दूंगा ॥ध्र. १ तुम कुल भारत के दुःष्मन हो, फिर नंद पे कैसे ले जाबु एक ईंट के खातिर मंदिर को, मै न कभी टूटने दूंगा २ मैं खुद ही नंद से लड़कर के, अपना पद वापिस लेलूगा लेकिन गैरो के हाथों से भाई को नहीं मरने दूंगा ३ मैं मौर्य वंशी क्षत्री हूं सब चाले तुम्हारी समझ हूं इम्दाद तुम्हारी लेके तुम्हारा, काम नहीं बनने दूँगा . ४ तुम योद्धा नहीं लटेरो हो, भारत को लटने आये हो। पर याद रखो मैं जीते जी, भारत को नहीं लुटने दूंगा मौर्य सम्राट चन्द्रगुप्त, जैनाचार्य भद्रबाहु स्वामीजी का . गृहस्थ शिष्य था, सौलह वर्ष की अवस्था में यह झेलम नदी के तट पर यूनान के बादशाह सिकन्दर से मिलने गया उस समय सिकन्दर के ऐसा कहने पर कि "ऐ चन्द्रगुप्त तेरे शत्रु नन्द को मारकर तेरा राज्य तुझको दिला हूँ" तब चन्द्रगुप्त ने जो जबाब दिया वह इस पद में अंकित है । ** Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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