Book Title: Bhavanjali
Author(s): Amarmuni
Publisher: Veerayatan

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Page 74
________________ [ ६८ ] मादक द्रव्य परिहार, मद्य निषेध मदिरा पापन ने रे, दीना देश बिगार भारत सारा पागल कीना - शैतानी से बस में कीना पढ़े लिखों को उल्लू कीना-- फैला धुप अँधियार - म. २ बूढ़े खूसट प्याली पीते - नोजवां इसही से जीते दूध मुँहे भी रहे न रीते - फँसी. इसी में नार - म. ३ पापन पूरा जाल बिछाया - सबका असली जोश घटाया झूठा जोश चढ़ा मरवाया - किये मनुष दुम दार-म. ४ दीन ईमान सभी का खोया -बुरी तरह से हिंद डुबाया भाई को भाई से खोया-खोये सब ५ चेहरे सब के कर दिये फीके - रोगी कर रिपु कर दिये जिंदे यम के दीवे जल रहे घी के - भीड़ लगी दरबार - म. ६ बढ़ रही दिन दूनी बेकारी - मूरख बन रही जनता सारी छार ही मक्कारी बदकारी - फैल रहा व्यभिचार - म. चाहते अगर निजलाल बचाना - भारत को आजाद बनाना तो अब इसका खोज मिटाना -- कहत अमर ललकार - म. हिसार १९८७ चातुर्मास घरबार - म. १ Jain Education International 1:0:1 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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