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अहिंसा की प्रधानता अहिंसा ही दुनियाँ में सबसे प्रवर है। नहीं मित्र ! इसमें जरा भी कसर है । ध्र . अहिंसा के आगे झुके विश्व सारा,
अहिंसा में कैसा विचित्र ही असर है । २ असंभव नहीं कोई वस्तु वशर को,
सभी कुछ हो संभव अहिंसा अगर है। ३ अहिंसा से मिलती है सुख शान्ति सच्ची,
अहिंसा ही मुक्ति की सीधी डगर है । ४ अहिंसा से बल आत्मा का बढ़ा दो।
अहिंसक ही दुनियां में रहता निडर है ।। ५ अहिंसा है भयभीत मनको निशानी,
जो कहते हैं उनको न कुछ भी खवर है। ६ नहीं है अमर कोई वस्तु जहाँ में, अमर यह अहिंसा तो देशक अमर है ।।
संगीतिका से
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