Book Title: Bhavanjali
Author(s): Amarmuni
Publisher: Veerayatan

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Page 60
________________ [ ५४ ] अहिंसा की प्रधानता अहिंसा ही दुनियाँ में सबसे प्रवर है। नहीं मित्र ! इसमें जरा भी कसर है । ध्र . अहिंसा के आगे झुके विश्व सारा, अहिंसा में कैसा विचित्र ही असर है । २ असंभव नहीं कोई वस्तु वशर को, सभी कुछ हो संभव अहिंसा अगर है। ३ अहिंसा से मिलती है सुख शान्ति सच्ची, अहिंसा ही मुक्ति की सीधी डगर है । ४ अहिंसा से बल आत्मा का बढ़ा दो। अहिंसक ही दुनियां में रहता निडर है ।। ५ अहिंसा है भयभीत मनको निशानी, जो कहते हैं उनको न कुछ भी खवर है। ६ नहीं है अमर कोई वस्तु जहाँ में, अमर यह अहिंसा तो देशक अमर है ।। संगीतिका से Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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