Book Title: Bhavanjali
Author(s): Amarmuni
Publisher: Veerayatan

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Page 44
________________ [ ३८ ] आज के साधु ? . पूर्वजों की और कुछ ना, लक्ष लाते आज कल । साधुता के नाम पर छल छन्द रच ते आज कल ॥ध्र . १ जानते तक भी नहीं प्राकृत गिरा क्या चीज है । मात्र टब्बों से जिनागम तत्व पाते अज कल ।। २ पौरुषी तक भी न होती है खुल्ले काल में। दो - दो माह चौमास में तप रंग जमाते आज कल ॥ ३ क्या करें अध्ययन का अवकाश कुछ मिलता नहीं। घण्टो बैठे भक्त से बातें बनाते आज कल ॥ ४ सूत्र लेके हाथ में गाते कपाली और गजल । चट पटे किस्से सुना, श्रावक रिझाते आज कल ।। ५ वीनती चौमास की मंजूर झट होती नहीं। खर्च का चिट्ठा बना पहले दिखाते आज कल ।। ६ जैन संस्कृति का भला उद्धार हो क्यों कर अमर । जब की नैया को खिवैया ही डुवाते आज कल ।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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