Book Title: Bhavanjali
Author(s): Amarmuni
Publisher: Veerayatan

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Page 42
________________ [ ३६ ] संगठन जरुरत है अब तो बड़ी संघठन की। कमी हो रही है बड़ी संघटन की ॥ध्र १ जो हैं विश्वभर की सुखद सम्पदा वे । खरीदी हुई दासियां संघठन की ।। २ विपत्ती के बादल उड़े एक क्षण में । चले जब कि पछवा हवा संघठन की ।। ३ जुदाई में तो तीये छत्तीस रहते । तिरेसठ हों जब हो दया संघठन की॥ ४ विजय वादशाहों पै पाता है एका। सुनी हाट होती कहीं संघठन की। ५ कठिन से कठिन काम सहसा सफल हो । बदौलत इसी एकता संघठन की। ६ खतरनाक हालत में है रोगी भारत । मिला दो अमर बस दवा संघठन की। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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