Book Title: Bhavanjali
Author(s): Amarmuni
Publisher: Veerayatan

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Page 37
________________ [ ३१ ] हृदयोद्गार तर्ज विपत में सनम के संभाली कमलिया हृदय से हृदय अब मिला दो मिला दो। सफल सम्मेलन को बनादो - बनादो ॥धु. १ उठो वीर मुनियों न सुस्ती में सोवो। कदम शीघ्र आगे बढ़ादो - बढ़ादो ।। २ परस्पर की निन्दा ही झगड़े की जड़ है। इसे मौन - मुद्रा लगादो - लगा दो। ३ मैं ही हूं बड़ा, अन्य क्षुद्र है सारे । अहं मान्यता यह मिटादो - मिटादो। ४ गुणों को विचारो न व्यक्ति को देखो। गुणी देख मस्तक झुकादो - झुकादो। ५ करो फूट की बन्द नालिया गन्दी। विमल प्रेम - गंगा बहादो - बहादो।। ६ अतीत की जो बाते न कोई उखेडो। भविष्यत पै दृष्टि जमादो - जमादो॥ ७ क्रिया ज्ञान दोनो लगा तुल्य पाखें । गरूड़ बन के अब तो दिखादो - दिखादो। ८ समाचारियाँ जो है टोले की अपनी, उन्हे अच्छे रंग में सजा दो सजा दो। है बनालो सभी गच्छ एक सुधर्मा, अटल एक शासन जमादो चला दो १० करो कार्य ऐसा अमरचन्द्र अवतो, विजय धाक जगमें मचादो मचादो। अजमेर सम्मेलन १६९० . . चैत्र शुक्ल दशमी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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