Book Title: Bhavanjali
Author(s): Amarmuni
Publisher: Veerayatan

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Page 35
________________ [ २६ ] श्राद्ध तर्ज- हां घटाएँ गम की छाई आज दिन श्राद्ध भी है हिन्द की अच्छी वला अन्ध श्रद्धा ने किया जग बावला ।। टेर. खा मजे में खीर पूरी मुफ्त की। भर लिया बस पेट नहीं जाता चला ॥१ भूमि पर भूदेव स्वर्गों में पितर । पेट से भोजन किधर वहां को ढला ॥२ विप्र भी मुर्दो के वर एजेन्ट है। वे पूत ही माल भेजे क्या कला ॥३ साल भर रो - रो के तड़फे भूख से। एक दिन से क्या गुजारा हो भला ॥४ हो गये माता पिता हैवान गर । चाहिए भूसा तदा खल में रला ॥५ शास्त्र सारे छानकर देखो अमर । पर न समझे श्राद्ध का कुछ मामला ॥६ नारनोल पितृपक्ष १६६३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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