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सनिक बनेगें तर्ज-विपद में सनमने सँभाली कमलिया
महावीर स्वामी के सैनिक बनेंगे, उसी के बताये
सुपथ पर चलेंगे। १ विपत्ति सहेंगे जो आयेंगी उपर, न तिलमात्र भी निज
प्रणसे डिगेंगे। २ उठाकर अहिंसा का झंडा फिरेंगे, अहिंसा को संसार
व्यापी करेंगे। ३ जियेंगे तो धर्मों की रक्षा की खातिर, इसी धर्म रक्षा
की खातिर मरेंगे। ४ मिटा ऊँच नीच के और भेद भयंकर, अटल साम्य
सूचक नयायुग रचेंगे। ५ लखो शक्ति अपनी बनो पूर्ण ईश्वर, संदेशा प्रभू का
यह सवसे कहेंगे ॥ ६ अनेकान्त नद में मिला मत की नदियाँ, मत द्वेष जगसे
मिटाके रहेंगे। ७ नहाके त्रिरत्न त्रिवेणी हृदय में । __ अमर मुक्ति - मन्दिर में जाके रहेंगे।
क्षेत्रवती वीर जयन्ति १६६३
॥ इति. ।।
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