Book Title: Bhavanjali
Author(s): Amarmuni
Publisher: Veerayatan

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Page 22
________________ [ १६ ] जोड़ोगे हाथ खुद तो, दर्पण विम्ब जोड़ेगा चांटा दिखाओगे तो, भट च टा दिखायेगा | ३ कांटा बनोगे तुम किसी की राह में, अड़कर कांटा बनेगा एक दिन वह भी सतायेगा |४ थूकोगे गर नादान होकर आफताब उपर वापिस गिरेगा मुँह पर आ, दुनियाँ हँसायेगा 1५ चाहते हैं लोग तुमको, कैसा जानना है क्या ? अपने हृदय से पूछिये वह खुद बतायेगा | ६ संसार में मीठे 'अमर' बन कर सदा रहना आदर्श नर जीवन तुम्हें ऊँचा उठायेगा ।७ 11 gfa. 11 जीवन के अन्तिम क्षण में? भगवन ! प्रसन्न हम हों, जब प्राण तन से निकलें आदर्श विश्व के हो, जब प्राण तन से निकले ॥ध्र ु. उदयास्त राज्य ठुकरा, सानन्द सत्य कारन फांसी पं भूलते हों, जब प्राण तन ने मिकलें ॥१ वन न्याय - पक्षी, हस्ती अन्याय को मिटाने सिर हाथ ले खड़े हों, जब प्राण तन से निकलें ॥२ रक्षार्थ जातिशत्रू भी वह शरण में आये Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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