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[ १५ ]
महावीर के पथ पर वीर प्रभु के पथ पै, कदम बढ़ाते जाना।
मानव जन्म अमोलक सफल बनाते जाना ॥ध्र. प्रेम के साथ रहना, सब मीठी कड़वी सुनना।
उत्तर मैं कुछ ना कहना, दिल से भुलाते जाना ।१ गर्व न कुछ भी करना, जग हैं बस जीना मरना।
होकर के नम्र विचरना, शीस झुकाते जाना ॥३ आवे जो दर पै दुखिया, शीघ्र बनाना सुखिया।
सेवा में बन कर मुखिया, कीति कमाते जाना ।।४ पंथो का जाल हटाके. मैं तू का भेद मिटाके ।
सबको इक साथ जुटाके, सत्य सुनाते जाना ।।५ मन्दिर है प्रभु का नरतन, कर ले यदि तनमन प्रावन । बनकर तू 'अमर सुभगवन, दर्श दिलाते जाना ॥६
॥ इति ॥ ......
जैसी करनी वैसी भरनी बोवोमे जैसा बीज तरू वैसा लहरायेगा
जैसा करोगे वैसा ही फल आगे आयेगा ।१ कूएँ में एक बार कुछ भी बोल देखिये
वैसा कहोगे वैसा ही वह भी सुनायेगा।२।।
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