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भगवान् महावीर
ये सब प्रजातन्त्र राज्य प्राय: आजकल के गोरखपुर, बस्ती और मुजफ्फरपुर जिले के उत्तर में अर्थात् बिहार प्रान्त में फैले हुए थे । ये जातियाँ प्रजातन्त्र के सिद्धान्तों पर शासन करती थीं। इनकी शासन प्रणाली कई बातों में प्राचीन काल के यूनानी प्रजातन्त्र राज्यों के सहश थी। इन प्रजातन्त्र जातियों में से सब से बड़ी शाक्य जाति थी। इस जाति के राज्य की जन संख्या उस वक्त करीब दस लाख थी, उनका देश नेपाल की तराई में पूर्व से पश्चिम को लगभग पचास मील और उत्तर से दक्षिण को क़रीब चालीस मील तक फैला हुआ था। इस राज्य की राजधानी कपिलवस्तु में थी। इस राज्य के शासन का कार्य एक सभा के द्वारा होता था । इस सभा को "संथागार" कहते थे। छोटे और बड़े सब लोग इस सभा में सम्मिलित होकर राज्य के कार्य में भाग लेते थे। "संथागार" एक बड़े भारी सभाभवन में जुटती थी । इस सभा में सब लोग मिलकर एक व्यक्ति को सभापति चुन देते थे। उसी को राजा का सम्मानसूचक पद प्राप्त होता था। उस समय भगवान बुद्ध के पिता इस सभा के सभापति थे। भगवान गौतमबुद्ध इसी प्रजातन्त्र के एक नागरिक थे । यहीं पर रह कर उन्होंने स्वाधीनता की शिक्षा भी प्राप्त की थी। और इसी प्रजातन्त्र राज्य के आदर्श पर उन्होंने अपने भिक्षु सम्प्रदाय का संगठन भी किया था । ___ वज्जियों का प्रजातन्त्र राज्य प्राचीन भारत का एक संयुक्त राज्य था । इस प्रजातन्त्र राज्य में कई जातियाँ सम्मिलित थीं। इस संयुक्त राज्य की राजधानी वैशाली थी। इसकी दो प्रधान जातियाँ विदेह और लिच्छवि नाम की थी। वजी लोग तीन Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com