________________
भगवान् महावीर
६-कुरु राज्य-इसको राजधानी इन्द्रप्रस्थ थी। इसके पूर्व में पांचाल और दक्षिण में मत्स्य जातियाँ बसती थीं । इतिहासज्ञों की राय में इसका क्षेत्रफल दो सहस्र वर्ग मील था ।
७-दो गज्य पांचालों के थे । इनकी राजधानियों "कन्नौज" और “कपिला" थीं।
८-मत्स्य गज्य जो कुरु राज्य के दक्षिण में और जमुना के पश्चिम में था, इसमें अलवर, जयपुर, और भरतपुर के हिस्से शामिल थे।
९-शूरसेनों का राज्य-इसकी राजधानी मथुरा में थी।
१०-अश्मक राज्य-इसकी राजधानी गोदावरी नदी के तीर पोतन या पोतली में थी।
११-गान्धार-इसकी राजधानी तक्षशिला में थी । १२-काम्बोज राज्य-इसको राजधानी द्वारिका में थी।
यह स्मरण रखना चाहिये कि उपरोक्त सोलह ही नाम शासक जातियों के थे, पर इन जातियों के नाम से उनके अधीनस्थ देशों के भी यही नाम पड़ गये थे । इन जातियों अथवा राज्यों के ऊपर कोई शक्ति ऐसी न थी जो इन पर अपना आतङ्क जमा सके । अथवा इन सबों को एकत्रित कर एक छत्री साम्राज्य का संगठन कर सके । ये छोटे छोटे राज्य कभी २ आपस में लड़ भी पड़ते थे क्योंकि राजनैतिक स्वतंत्रता के भाव लोगों के अन्तर्गत बहुत फैले हुए थे ।
उस काल में उत्तरीय भारत के अंतर्गत बहुत से प्रजातन्त्र गज्य भी थे। अध्यापक “राइज़डेविड्स" अपनी "बुद्धिस्ट.
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com