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६; - णाम न० ( -नामन् ) या स्त्री રૂપે જન્મ લેવા પડે તેવી નામકર્મની એક प्रकृति नामकर्म की एक प्रकृति जिसके कारण स्त्री रूप जन्म लेना पडे. a variety of Namakarna causing birth as A woman. नाया; - णाम गोय कम्म. न० ( - नामगोत्रकर्मन् ) स्त्रीना ગાત્રમાં-જાતિમાં જન્મ લેવા પડે તેવું કર્મ. ऐसा कर्म जिससे स्त्री जाति में जन्म हो. a Karma by which one has to take birth as a female. नाया० ८; - तित्थ न० (-तीर्थ ) स्त्रीरूपे भेल महट्टीनाथ तीर्थं तीर्थ- शासन, स्त्रीरूप से जन्मे हुए मल्लीनाथ तीर्थंकर का शासन. the canon of Mallinatha Tirthankara who was born as a female. ठा० १०३ - दोस. पुं० ( दोष ) सीना होष-अवशुस्य स्त्री के दोष अवगुण the faults of a woman; the defects of a woman; इरिथदोसं संकिणो होति सू० १, ४, १, १५: - पच्छाकड. त्रि० ( पश्चात्कृत ) मेरो स्त्री पाएं पास टास् छे ते. जिसने स्त्री रूप जन्म दूर कर दिया है वह. (one ) who has banished female birth. भग०८, ८ - परणवणी. स्त्री० ( - प्रज्ञापनी ) स्त्रीना लक्षणनुं प्रतिपादन प्रश्नार मोहन भाषा स्त्रीके लक्षण का प्रतिपादन करनेवाली मोहजनक भाषा. fascinating, captivating language describing characteristics of women. पन्न० ११६ – परिसह. पुं० ( - परिषह ) સ્ત્રી સબંધીના પરિષ; કેઇ સ્ત્રી સંયમથી ચલાવવા હાવ ભાવ કરે તે! પણ ચલિત ન वं. ते २२ परिषभांनो मे स्त्री संबंधी परीषहः कोई स्त्री, संयम से विचलित करने
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के लिये हाव भाव करें तो भी विचलिन न होना; २२ परीषहों में का एक परीषह. resisting erotic enticements offered by a woman; one of the 22 Parisahas. भग० ८, ६, उत्त० २, १ - परिसह विजय. पुं० ( - परिषह विजय ) એકાન્તવાસમાં અમુક ઘણી રૂપાલી સ્ત્રી આવી, અનેક પ્રકારના હાવભાવ કટાક્ષ વગેરેથી પરિષદ્ધ આપે છતાં પણ મન ન ડગાवाने परिपयर विनय भेव ते. एकान्तवास में कोई बहुत रूपवान् स्त्रां के आने और हाव, भाव, कटाक्ष करनेपर भी मन को चलित न होने देना और परिषह विजय प्राप्त करना. maintaining one's control over the mind in spite of the amorous glances etc. of a fair Woman in a private place भग०८, ८५ - पोसय. पुं० ( पोषक स्त्रियं पोपयन्तीति स्त्रीपोषकाः ) स्त्रीनं भरण पोषण २२ पुष स्त्री का भरण पोषण करनेवाला पुरुष. a person who-main. tains a woman. सूर्य० १, ४, १, २०: - भाव. पुं० न० ( - भाव ) ईटाक्ष संदर्शन वगेरे स्त्रीना हाव भाव कटाक्ष, संदर्शन आदि स्त्रा के हाव, भाव. amorous movements, glances etc. of a मोहुम्मायजरुणाई सिंगारियाइं इत्थिभावाई उवदंसेमाणी" उवा०८, २४६: -- रज. न० ( राज्य ) स्त्रीनं शब्न्य; स्त्रीयां स्वतंत्र व छेते. स्त्री का राज्य; जहां स्त्री स्वतंत्रता से व्यवहार करती है वह. petticoat government. " श्रजा धवारियाओ इत्थिरजं न तं गच्छ गच्छा० १, ६५; -- रयण न० ( रत्न ) ચક્રવાતની મુખ્ય પટ્ટરાણી; ચક્રવર્તિતા ૧૪ रत्नमा रत्न चक्रवर्ति की मुख्य
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