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गुणश्रो]
( ६३४ )
[गुणव्यय
पुं० (-सागर ) गुगुनी समुद्र. गुणसागर; | है, सोलह मास में यह तप संपूर्ण होता है. गुण का समुद्र. an ocean of quall- A. kind of penance lasting for ties or virtues. दस. १, ३, १४; -
sixteen months in which one गच्छा० १०३; -सुटिअप. त्रि. fasts for a day in the first ( -सुस्थितास्मन् ) तो आत्मा मुगुमा month, for two days in the सारीरी स्थित छे ते. जिसकी आत्मा गुणमें ।
second and so on for sixteen अछी तरहसे स्थित है वह. ( one ) days in the 16th month. Duwhose soul is strictly given to ring day one has to sit in a virtues. दस० ६, ७; ३; -हाणि. स्त्री० । certain bodily posture facing ( -हानि) गुण सने हानि पधारे। अने) the sun and at night in anघटी . गुण व हानि; अधिकता । न्यूनता. other posture without clothes loss and gain. क. प. १, १०; ३, on the body. The day posture ८; -हीण. त्रि० ( -हीन ) गुरविनानु. is Oukhadu Asana while the गुण रहित. devoid of attributes. night posture is Virāsana. अंत. गच्छा० १०६: क. प० १, ७८,
१, १; कप्प० ७, ६; -वत्थर. न० गुणो. अ० ( गुणतस् ) गुथी; गुमाश्री. (-वत्सर) गुरन संपत्स२ नाम. गुणरत्न
गुणस; गुण पाश्री. By reason of संवत्सर नामका. name of a kind of qualities; ir: point of qualities. austerity. प्रव०१५८०-संवच्छर. न. उत्त० ३२,५; भग०२, १०;
(-संवत्सर) गुण संवत्सर सेनामनु मे। गुणण. न० (गणन) मावृत्ति; अथरियार. त५ छे. गुणरत्र संवत्सर इस नामका एक तप
आयात्त; ग्रंथविचार. Multiplication; है. name of a kind of austerity. revision; reflecting upon the भग २, १; नाया० १; contents of a book. पिं. नि. ६६४; गुणवंत त्रि० ( गुणवत्-गुणा मूलोत्तर विशुविशे. १११३,
ध्यादयों विद्यन्ते येषां ते) गुणी; गुपयुक्त. गुणरयण. न. (गुणरत्न) सण मानार्नु । गुणवान; गुणयुक्त. Possessed of
એક તપ કે જેમાં પહેલે મહિને એકેક ઉપ- qualities or virtues. गुणवओ. व. वास, भीमसे, यावत् सेगमे महीने से ए. अणु जो० ५८; 340स १२॥ ५९ छ, हिवसे 8 आसने गुणवेरमण. न० ( गुणविरमण ) श्राप
સૂર્યની સન્મુખ અને રાત્રે વીર આસને सात अने आ ये त्रए प्रत. श्रावकेक વત્ર રહિત બેસવાનું હોય છે; સેળ માસે छठ, सातवे और पाठवें यह ३ व्रत. The
मात५ पूरा थाय छे. सोलह मास का एक three vows viz. the 6th, 7th तप कि जिसमें प्रथम मास में एक एक उप- and 8th of a Jaina layman. राय. वास, दूसरे में दो दो, यावत् सोलहवें मास २२६; नाया. ८; में सोलह उपवास करने पड़ते हैं, जिसमें दिनको गुणव्वय. न. ( गुणवत) मे “ गुणउकुड्ड आसन पर सूर्य के सन्मुख व रात्रि वेरमण " ५१. देखो “गुणवेरमण " को वार श्रासन से वन रहित बैठने का होता । शब्द. Vide " गुणवेरमण " आउ.
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