Book Title: Ardhamagadhi kosha Part 2
Author(s): Ratnachandra Maharaj
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 831
________________ जाइ ] भः २२. जाति का अभिमान करने वाला. (one ) who is proud of his birth or caste. दस० १०, १, १६; - मद. पुं० (-मद ) लतिनुं अभिमान. जाति का अभिमान. pirde of caste. ठा० ८, १ - मय. पुं० (-मद-जात्या मदो जातिमदः ) मो जाइमद ६. देखो " शब्द. vide "जाइमद" 66 66 ܕ ܕ Jain Education International 66 " १०; सम० ७; जाइमद जाइमएणवा -मयपडित्थद्ध. पुं० ( - मदप्रतिस्तब्ध ) लतिना अहं रथी उद्धत जातिमदसे उद्धत; जातिके अहंकार से उच्छृंखल haughty or rude in consequence of the pride of caste. जाइमयपडित्थ हिंसा श्रजिइंदिया" उत्त० १२, ४ - मरण. पुं० ( - मरण ) ४न्म भरणु जन्म मरण; पैदा होना और मरना birth and death. दस० ६, ४, २, ३, १०, १, १४; २१; दसा०६, ३२ - मुश्र. त्रि. (मूक) ४-भोगो. जन्म से हीं मूक- गूंगा. dumb from the very birth. विवा० १, मूयत न० (- मूकत्व) न्भश्री भुगा. जन्म से ही गूंगापन. dumbness from the very birth. सू० २ २, २१ – लिंग. न. ( - लिङ्ग ) अति सूय झिंग- शरीर अवयव जाति सूचक लिंगशरीर अवयय. a caste mark; a limb of the body. सम० ३; वंझा. स्त्री० ( - वन्ध्या - जातेर्जन्मत आरभ्य वन्ध्या निर्बीजा जातिवन्ध्या ) मधीन ध्या; वांजली. जन्म से ही बन्ध्या barren or sterile from birth. ठा०५, २ - वर. पुं० ( - वर ) उत्तम अति उत्तम जाति; श्रेष्ट जाति highest caste. जाइवरसाररक्खिय पराह० २, ४; - संपरण. पुं० ( -संपन्न ) संपूर्ण गुगु ठा० ( =१६ ) :) " વાલી જેની માતા હોય તે; માતાના પક્ષ भेने सारे। होय ते. जिसकी माता गुणवती हो वह; मातृपक्ष जिसका श्रेष्ठ हो वह. one having a mother endowed with talents; one having excel - lent maternal side. भग० २, ५; ८, ७, १०, ५ नाया० १; ठा० ४, २, ३, विवा० १; नाया०ध० सर. त्रि० (-स्मर) पूर्व जन्मनु स्मरण २नार. पूर्व जन्मका स्मरण करने वाला. ( one ) who remembers his past life. आव० ४१; -सरण. न० - स्मरण ) गत भन्माना બનાવાનુ સ્મરણ; મતિ જ્ઞાનને એક ભેટ; તેનાથી વધારેમાં વધારે સંજ્ઞીના ૯૦૦ ભવની વાત તણી શકાય- સંભારી શકાય તેવુ ज्ञान. गत जन्मों की हकीकत का स्मरण; नति ज्ञान का एक भेद; जिसके द्वारा अधिक से अधिक ९०० भवों-जन्मों की बात जानी जा सकती हैं; एक प्रकार का ज्ञान memory of past lives; a kind of power of remembrance or knowledge which enables a person to recall the memory of events of past lives numbering up to the maximum of nine hundred lives or births. जाइ सरणं समुपरणं उत्त० १६, ७; ओव० ४१; प्रव० ५२८; नाया० १ ८ १३; दसा० ५, १६; -सरण वणिज्ज न० ( स्मरणावरणीय ) ज्ञानावरणीय नी भेड अमृति; જાતિ મરણને આવરનાર કર્મ પ્રકૃતિ. ज्ञानावरणीय कर्म की एक प्रकृति; जाति स्मरण - पूर्व जन्मों की स्मृति को आवृत करने वाली कर्म प्रकृति. & variety of knowledge obstructing Karma; a variety of knowledge obs -7 [ जाइ For Private Personal Use Only ८८ www.jainelibrary.org

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