Book Title: Ardhamagadhi kosha Part 2
Author(s): Ratnachandra Maharaj
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 929
________________ गर] [ हरकता " कुंथूनामणरहिवो " उत्त. १८, ३६ | मनुष्य गतिमें आता है वह. passing of a -(री) ईसर. पुं० ( -ईश्वर ) २ . | soul into the state of a human राजा. & king. " इक्वा गुराय वसही being from any of the other कुंथूनाम नरीसरो" उत्त० १८,३६; -देव. states by an irregular process. पुं० (-देव-नरेषु देवा नरदेवाः ) यवत. ठा. १०;-संघाडग. न. (-संघाटक ) चक्रवती. a Chakravarti; a lord नर मनुश्यना समू. नर-मनुष्य का समूह. of men. ठा. ५, १; (२) मे नाभने। a multitude of men. जं. प. *सर २शमिना से पुत्र. इस नाम -सिरमाला. स्त्री. ( -शिरोमाला ) का ऋषभदेव स्वामी का एक पुत्र. name पुना माथानी माया. पुरुषों की खोपडियों of a son of Şişabhadeva की माला. a garland of human Swami. कप्प० ७ -णारी संपरिवुड. skulls. नाया. ८; --सीह. पुं० (-सिंह) त्रि. ( -नारीसंपरिवृत )२रीथा धेश- पु३१मा सिंह समान. पुरुषों में सिंह के येस. नरनारी से घिरा हुआ. surround. समान asalion among men नाया. ed by men and women. परह. १,३; -ग. न० (द्विक) मन णरश्रय पु०(नरक) न२५. नरक. Hell. मन मनुश्यानुभूती मे थे प्रति. मनुष्य प्राया. १. १, २, १६: दसा. ६, १; ; गति और मनुष्यानुपूर्वी ये दो प्रकृति । नाया. २; १६; भग. १५, १; two Karmic varieties mained | मरकत पवाय. न. ( नरकान्ताप्रपात ) Manuşya Gati and Manusya જંબુના મદર પર્વતની ઉત્તરમાં નરmupirvi. क. गं. ३, ८; ~माहिर. आन्तानहीनो रे ।. जंबूदीप के मन्दर न. (-रुधिर ) मा सर्नु साली. मनुष्य पति के उत्तर की नरकान्ता नदी की धारा. का रुधिर, human blood. राय. The fall of the river Nala-वरीसर पुं० (-वरेश्वर ) श्रे४२११. kánti in the mouth of the श्रेष्ठ राजा. the best among kings; inouat Mandara of Jambu an excellent king. " सगरंतं चइ. Dvipa. ठा० २, ३, ताण भरह नरवरीसरो " उत्त. १८, ४०; णरता. स्त्री० ( नरकान्ता ) रुभिपतना ~~वसह. पुं० (-वृषभ ) १२नी सहर મહાપુંડરીક કહમાંથી દક્ષિણ તરફ નીકલેલી प्रधान मुगुवासी; उत्तम ५३१. नरों में भानही. रुक्मि पर्वत के महान्हद में से प्रधान गुण वाला; उत्तम पुरुष the high. दक्षिण तरफ निकली हुई महानदी. A est or best among men; an ex. great river rising from lake cellent person. पगह 1, ४; -वि. Mahăpuşdurika on mount ग्रहगह. स्त्री० (-विग्रहगति ) मनुष्यता Rukmi and Howing in the વિગ્રહ ગતિ કેઇપણ ગતિમાંથી ચવી જીવ Youth. ठा. २, ३; ज. प. ४, १११; 4i मनुसनी गतिमां आवे ते. मनुष्य । --कूड न० (-कूट) भि ५५ 3५. की विग्रह गति; कोई भी गति में से चवकर- | २ना मा भानु याथु -शिम२. रुक्मि चलायमान होकर जीव अनियमित रीति से पर्वत के ऊपर के आठ कूट में से चौथा कूट Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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