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क० गं० ३, १४; – इक्कारस. न. ( - एकादशक ) प शब्६. देखो ऊपर का शब्द. vide above. क० गं० ३, १०; -- ईसर. पुं० (- ईश्वर ) तीर्थ २. तीर्थंकर. Tirthankara. प्रव० ४०६ - उत्तम. पुं० ( - उत्तम ) तीर्थं ५२. तीर्थंकर. Tirthankara. ‘मग्गं विराहित्तु जियुत्तमाणं' उत्त० २०, २०; - उदिट्ठ. त्रि० (- उद्दिष्ट)
सम० ३ भत्त० ८५;
पुषे शवेल. श्राप्त पुरुषने दर्शाया हुआ. shown by relatives. गच्छा० २६ - उवएस. पुं० ( -उपदेश ) तीर्थं - रने। उपट्टे!. तीर्थंकर का उपदेश teach ings of Tirthankars. “एवि तच्चाश्रो जिणोवएसम्मि -- कप्प. पुं० ( - कल्प-जिनाः गच्छनिगताः साधुविशेषाः तेषां कल्पः समाचारः ) ઉત્કૃષ્ટ આચાર પાલનાર સાધુને--જિનકલ્પીनो व्यवहारविधि, उत्कृष्ट आचार का पालन करनेवाले साधु का जिनकल्पीका कल्पव्यवहार विधि. the ascetic conduct or mode of life of a Jaina mouk. पंचा० १७, ४०; भग० २५, ६ प्रव० ५०५, ६२२; -- कप्पट्ठिइ. स्त्री० ( - कल्पस्थिति ) ગચ્છથી બહાર નીકલી જિનકલ્પીપણું સ્ત્રીअरनार साधुना खायास्नु स्वरूप गच्छ से बाहर निकलकर जिनकल्पीपना स्वीकार करने वाले साधु के आचार का स्वरूप. the mode of ascetic life of a Jaina monk who leaves his order but follows the conduct prescribed for Jaina monks. वेय० ६, २०; —कप्पि. पुं० ( - कल्पिन् ) भिन उदयी साधु. जिन कल्पी साधु a Jaina ascetic. चउ० ३३; प्रव० पिय पुं० ( -कल्पिक - जिनानां कल्पः चारो जिनकल्पः स विद्यते येषां ते) दिन
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मुभी साधुः ५४ व्याधारी साधु जिन कल्पी साधुः उत्कृष्ठ आचारी साधु & Jaina monk; a Sadhu following the conduct prescribed for monks in Jaina Sāstras. वव ५, २१; प्रव० १५; ४६६; ५४७; ६३०; - कालग. त्रि० ( - कालक) नि-तीर्थंकरना अलमांतेनी हयातिमां नी हयाती होय ते. जिनतीर्थंकर के काल में उनके अस्तित्वमें जो जीवित हो वह. contemporary to a Jaina Tirthankara. जिण कालगो मगुस्सो ” क०प०५, ३२; - गुण. पुं० ( - गुण ) तीर्थंना गुएा. तीर्थंकर के गुण. the attributes of a Tirthankara. भत्त० १६८; – घर. न. ( - गृह ) निनदेवमंदिर जिनगृह; देवमंदिर Jaina temple. नाया० १६; पंचा० ७, - चंद. पुं० (चन्द्र ) भद्र सीतझ छिन लगवान् चंद्र जैसे शीतल जिन भगवान a Tirthankara, cool and cooling like the moon. पराह०२, १: क०० ३, १ – चिरण. त्रि (-चीर्ण) ने आयरेसु. जिन द्वारा श्राचरित आचरण किया हुआ. practised by & Tirthankara. " श्रक्खो भा होइ जिणचिण्णो" पंचा० ४, २८ - जइ. पुं० (-यति ) जैन मुनि जैन मुनि 8 Jaina ascetic. प्रव० ६६२; — जख. पुं० (-यक्ष ) तीर्थंनी अति वामां ईश मेवा मुहियक्ष तीर्थंकर की भक्ति करने में कुशल ऐसे गोमुख आदि यक्ष. a. Yaksa ( eg. Gaumukha etc.) devoted to the worship of & Tirthankara. प्र०७; - जराणीस्त्री० (-जननी ) तीर्थंनी भाता. तीर्थंकर की माता. the mother of Tirthan
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