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घोस ]
( ६७० )
[ङकारपबिभत्ति
जाति के भवनपीत का इन्द्र. Indra of with acquiring knowledge. the Bhavanapati gods of the श्राव० ४, ७; Stanitakumāra kind. नायाध०३; । घोसण. न० (घोषण ) बटानी श६. घंटा (१) घोस नामनु पांयमा यो विमान ___का नाद. Sound of a bell. राय. ४०; કે જ્યાંના દેવતાનું દશ સાગરનું આયુષ્ય | घोसणा. स्त्री. (घोषणा ) M२ १२;
छ. घोस नामक पांचवें देवलोक का एक २. प्रसिद्ध-पत्रिका; ढंढेरा. Proclaविमान कि जहां के देवताओं को दश सागरों mation. जं. ५० ५, १२३; ११५; अत. का आयुष्य प्राप्त होता है. name of a ५, १; नाया. १३; १५, heavenly abode of the fifth | *घोसय पुं० ( * ) सारसी; नान। Devaloka, the gods here live अरिसो. दर्पण; आईना; छोटा दर्पण. A ten Sigaras of time. सम. १० small mirror. भग. 11. ११; --विसुद्धिकारश्र. त्रि० (-विशुद्धि- घोसाड. पुं० न० (घोसातक) घीसsi; कारक ) Gul-24नुहात-२वरित आदि शायर तिनी मे M. तुराई; शाक शुद्ध क्यार ४२ना२. उदात्त-अनुदात्त- __ वनस्पति की एक जाति. A kind of स्वरित आदि शुद्ध उच्चार करने वाला. (one) vegetable. प्रव० २४३; using high, low and circum. घोसाई. स्त्री. ( घोषातकी ) घीसे15-- flex accents in speecb. दसा. ४, तुरीयानी ३६. तुरई की बेल. A १६; -हीण त्रि. (-हीन ) सूत्रानो cre sper yielding fruit which is ઉચ્ચાર કરવામાં દીર્ઘ હોય ત્યાં રહસ્ય, બે ! ___used as vegetation. पन्न. १; १७: मात्रा खाय त्यां मे मात्रा मोवी ते; ज्ञान- घोसाडिया. स्त्री. (घोषातकी) 4.२५ति ना 1४ अतियारमानो मे. सूत्र पाठ का । विशेष; घीसे.31. वनस्पति विशेष; टांडारे उच्चार करने में दीर्घ हो वहां व्हस्व, दो । ___ की बेल. A kind of vegetation. मात्रा हों वहां एक मात्रा बोलना; ज्ञान जीवा० ३, ४; राय० ५४; के १४ अतिचार में से एक. wrong prey. घोसिअ. त्रि. (घोषित) २ ४. साह nunciation of seriptural text; | ५ . प्रसिद्ध किया हुआ; दूंडी पिटाईहुई. one of the 14 faults connected Publicly proclaimed ओघ०नि०६४५;
कारपविभत्ति. पुं० ( हकारप्रविभक्ति )। thing ) of the shape of the
ना आज ने ना विशेष. ह कार letter " "; a kind of a drama. की आकृति के समान; नाटक विशेष. (Any- राय.
* गुमो १४ नप२ १५ नी ५टनोट (*). देखो पृष्ट नंबर १५ की फूटनोट ( * ). Vide foot-note (*) p. 15th.
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