Book Title: Ardhamagadhi kosha Part 2
Author(s): Ratnachandra Maharaj
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 766
________________ छत्तग ] ( a umbrella above another as in the case of a Tirthankara etc. नाया० १; ५ भग० १६, ५.; [सू० १० १२: कार. पुं० - कार ) छत्र मनावतार. नाना छत्र बनाने वाला maker of umbrellas. जो० १३१; -गाह पुं० ( ग्राह) नेपा २२. छत्र को धारण करने वाला one who holds an umbrella. fare ६, २४० तय न० (त्रय ) ५२ ઉપર ત્રણ છવા, છત્ર ઉપર છત્ર તેના ઉપર छत्र ऊपरा ऊपरी तीन छत्र छत्र के ऊपर छत्र व उसपरभी छत्र. three umbrellass one held over the other. प्र० ४५१ -- धारि त्रि ० ( - धारिन् ) छत्र धरनार चारगा करने वाला (one ) who holds an mubrella भग० ११, ११: - न० ( रन) नाह નેમાનું નવમું २०. चकवर्ती के चौद रत्नों में से नवमा रुन. the ninth of the fourteen jewels of a Cha kravarti z० ७ १: जं० प० एन०२०६ - Jain Education International ७५५) - लकखरण. न० ( -लक्षण) छत्रना क्षण ४५. छत्र के लक्षणों की परिक्षा करनेकी एक कला, the art of examining the qualities of an umbrella. नाया० १: संठिय. त्रि० ( - संस्थित ) छत्र संस्थितः छत्रने खारे २. छत्र की आकृति वाला having the form of an umbrella उत्त ३६, ५.७ छत्तग. न० ( छत्रक ) छत्र; छत२. छत्र छाता. An umbrella आया० २, ३, २, १२०; (२) संपास २५. संन्यासी का एक उपकरण. an implement used by an ascetic. सूर्य० २,२,४८; [ छत्ति ने आरे आकार में एक State of A दत्तगत्ता. श्री. ( कता) वनस्पतिपत्र के प्रकार का वनस्पतिपना kind of vegetation having the shape of an umbrella [सू० १, ३, १६: छत्तपलासय पुं० ( छत्रपलाशक ) रंगला નગરની હારના એ. નામના એક બગીચે. कर्यगला नगरी के बाहर का इस नाम का एक बगीचा. Name of a garden ontside the town named Kayaiigala. तलासए नाम इए होस्था " भग० २ १; C: छत्तय. न. ( छत्रक ) देश उत्तरा उत्तम " शब्द Vide "छत" राष्ट्र छनग भग० २, १३ तरि ० ( प सहति) नी संख्या छहत्तरः ७६. Seventy-six 76. ० ० ६, ३१: For Private & Personal Use Only छत्ता. श्री० ( छत्रा ) અનન્તકાય વો अनन्तकाय विशेष A variety of Anantakays. भग० २३, २० छनार पुं० (पत्रकार) भी नानार शरीगर छाता बनानेवाला कारागीर. A maker of umbrellas पन० १; छत्ताह. पुं० ( छत्राभ ) - जेनी डे છઠ્ઠા શ્રીપદ્મપ્રભ નીર્યકરને કવલજ્ઞાન થયું एक वृक्ष कि जिसके नीचे कुठे श्री पद्मप्रभ तीर्थंकर को केवलज्ञान प्राप्त हुआ था. The tree under which the 6th Tirthankara Sri Padmaprabha attained to omniscience, सम प० २३३; छत्ति त्रि० ( इत्रिन्त्रमस्यास्तीति ) वाणी छत्र वागे. छत्रवाला; छातेवाला. Having an umbrella: po sessod www.jainelibrary.org

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