Book Title: Ardhamagadhi kosha Part 2
Author(s): Ratnachandra Maharaj
Publisher: Motilal Banarasidas

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Page 803
________________ जय] ( ७६१ ) [ जयंत जयंत. उत्त० ४,११; जं०प० पिं० नि०१६०; सम, पं० २४२;-णाम. पुं० (-नामन्) जइत्तए. हे. कृ. भग० ७, १; १४५ नामे 11 मा यती .. जय नाम का ११ V जय. धा• I. ( यत् ) भनत ४२वी; यल वां चक्रवर्ती. name of the 11th Cha ४२वा; 14६]! ४२वी. मिहनत करना; यत्न kravarti. ठा० १०; उत्त० १८, ४३; करना. To exert oneself; to en- -सद्द. पुं० (-शब्द) १५ था।मे। deavour. श०६. जय हो ऐसा शब्द. the exelaजयइ. उत्त० ३१,७; mation 'victory! victory!'. "74जये. वि. सूय. १, २, ३, १५; सद्दग्धोसएणं" भग० ६, ३३; ग्रोव० ३१; जयसु. पिं० नि० ४५ कप्प. ४, ६२;-जय. पुं० (-जगत् ) जयंत. व.कृ.उत्त० २४, १२; पिं.नि.१९० संसार; सो दुनिया. संसार; लोक. world. जयतन्त. सूय० १, २, १, ११%3 ly existence; the world. HITO?", जयमाण. १,४,१, १२६; १, ६, २, १८३; २; ३; -गुरु. पुं० (-गुरु ) सतना गु३ १, ६, १, २१; श्रीनेश्व२. जगत् के गुरु; श्री जिवेश्वर. the जय-श्र. पुं०(जय)शत्रुसोने ताते; वि०५. world-teacher; Jineswara. सु० च. विजय; शत्रओंको जीतना. Victory.ग्रोव. २, ३६१; पंचा• ४, ३३;-पसिद्ध. त्रि. ११;दस० ७, ५०; नंदी० ५; कंप. १, ५; (-प्रसिद्ध ) ०४॥ ॥२. जग जाहिर; लोक ४, ६७; नाया० १; ३; १६: भग ३, १; २; प्रसिद्ध प्रख्यात. famous; well-known. ७, ६ ६, ३३; गय. ३.9; पन्न० २; (२) सु. च. १, २८; ~ पहु. पुं० (-प्रभु) એ નામના વર્તમાન અવસ પિણને ૧૧ મા गतना प्रमु. परमेश्वर. the lord ना. इस नाम का वर्तमान अवपिणी of the world; the supreme का ११ वां चक्रवर्ती. name of the being. सु. च. १, ३८०; ---पुंगव. 11th Chakrawarti (sovereign ) त्रि० (-पुङ्गव ) मा श्रेष्ट. जगत में of the present cycle. जं. श्रेष्ट the greatest or the best प. ३, ४४; उत्त० १८, ४३; समः in the world. सु. २, ६७७; प० २३४; (३) मे नामनी त्री | जयंत. पुं० ( जयन्त ) सुडापना यार ६२. साहेम मने तेरस से नए तिथियो. इस भानु पश्चिम त२५, ६२. जम्बूद्वीप के चार नाम की तृतिया अष्टमी व तृयोदशी ये तीन द्वारों में से पश्चिम दिशा के तरफ का द्वार. तिथियां. name of the 3rd, 8th and The western gate of the four 13th day of a fortnight. ज. प. gates of Jambu Dvipa. “ कहिणं १; (४) ये नामती से वता. इस नाम | भंते जंबू दीवस्त जयंत णाम दारे पराणते" का एक देवता. name of u god. भग. जीवा. ३, ४; जं. ५० (२) ४५त नामे ३, ७; (५) १३ मा तीर्थ ५२ने प्रथम પાંચ અણુત્તર વિમાનમાંનું ત્રીજું વિમાન मिक्षा मापना गर५. १३ वें तीर्थंकर को એની સ્થિતિ ૩૨ સાગરોપમની છે એ દેવતા प्रथप भिक्षा देनेवाले गृहस्थ. a house- 1 મહિને શ્વાસોચ્છવાસ લે છે એને ૩૨ holder who was the first to give र व क्षुधा मागे छे. जयंत नाम के alms to the 13th Tirthatikara. पांच अणुत्तर विमान में से तीसरा विमान: Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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