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चउक्क]
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[चउक्क
and four. क. गं० २, १५; --सयरि. स्त्री० (-सप्तति ) यमातेर; ७४नी सभ्या. चौहत्तर; ७४ की संख्या. seventy-four; 74. क. गं. २, ५; -सरण. न. (-शरण ) अरिखत, सि६, साधु अने धर्म मे या२नु श२९५ ( आश्रय) से ते. आरहंत, सिद्ध; साधु और धर्म इन चारों की शरण लेना-आश्रय लेना. resigning oneself to these four viz. Arihauta, Siddha, Sadhu and Dharma. (२) ६२५/न्ना पे। मे। ५/न्ना (पुरत)नुं नाम. दस पइन्नाओं में से एक पइन्ना-पुस्तक. name of one of the ten books known as Painnās. चउ. ११; ~~सरणगमण. न० (-शरणगमन ) यार श२६। सेवा. चार शरण-आश्रय लना. resigning oneself to the four e. g. Arihanta etc. पंचा० २, २७; -साल. त्रि० (-शाल ) यतु:शास; यार माणातुं (५२). चार अटारी वाला मकान; चार मजला घर. four-storeyed. जावा० ३, ३; -सिर. न० (-शिरस्-चत्वारि शिरांसि यस्मिन् ) વદનામાં ચાર વખત ગુરૂને મસ્તક નમાવું ते. वन्दना करते समय चार बार गुरु के श्रांग मस्तक नमाना-टेकना. act of bowing one's head four times while saluting a preceptor. सम० १२; ---हेउ. पुं० ( -हेतु) मिथ्यात्व मामि
-धना यार तु. मिथ्यात्व श्रादि कर्मबन्ध के चार हेतु. the four causes of Karmic bondage viz. heresy
etc. क. गं. ४, ५३, चउक्क. पुं० (चतुष्क) २ २२ता मेगा यता
दाय ते २५-यो; योगाट. चौक; वह जगह जहां चार मार्ग प्राकर मिलते हो.
A square where four roads meet. ओव. २७; उत्त० १६, ४; अणुजो० १३४; भग• २, ५, ३, ७, ५, ७; कप्प० ४, ८८; नाया० १, २, वेय. १, १२; (२) यारो सभूल-त्या. चारका समूह. a group of four. भग. ८, १; ११, १, १२, ४: १८, ४, २०, ५: २४, १२, ३३, ३; पिं० नि० ३; जीवा० ३, ३; पन्न० २३, राय० २०१; अणुजो०८; प्रव० ६३७; क. गं० १, ४; ~~-णय. पुं. (-नय) या२ नयने भाननार से 21५५ मत. चार नयों को मानने वाला एक श्राजीविकमत-संप्रदाय. a tenet named Ājivika believing in four Standpoints. सम० १२; - इय. त्रि० (-नयिक) यार नयी १२तुना पियार કરણર; જે નૈગમના સામાન્ય અંશને સંગ્રહમાં અને વિશેષ અંશને વ્યવહારમાં સમાવી ત્ર શબ્દનયને એક રૂપે માની સંગ્રહ, વ્યવહાર, જુસૂત્ર અને શબ્દ-એ ચાર नय मानता et ते. चार नयों से वस्तु का विचार करने वाला; जो नैगम के सामान्य अंश का संग्रह में और विशेष अंश का व्यव. हार में समावेश कर तीनों शब्द नयों को एक रूप में स्वीकार कर संग्रह, व्यवहार, ऋजुसूत्र
और शब्द ये चार नय मानने वाला. (one) who looks at a thing from four standpoints; (one) who believes in the four standpoints viz. Saigraha, Vyavahāra, Rujusūtra and Sabda, including Sangraha Višesa in Vyavahāra and taking the three Sabda Nayas to be one. सम० २२; -संजोय. पुं० (-संयोग ) या२ मारना ने-सयोग. चार बोलों का संयोग. conjunction of
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