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उवन्नासावणा ]
उवणेहि नाया० २; १२; १६; उवणेइ. नाया० १३; ८; १६६ उवणेहिंति श्रव० ४०;
उवणेत्ता. सं० कृ० सू० २,६; १; उवणिसए. हे० कृ० वव० १, २३; उवणिज्जई. क० वा० उत्त० १३, २६; उवन्नासोवणश्च. पुं० ( उपन्यासोपनय ) वाहिने नितवाने प्रत्युत्तर आयो ते. वादी को जीतने के लिये प्रत्युत्तर देना replying an adversary with a view to refute his argument. ठा० ४, ३, उवप्पयाण. न० ( उपप्रदान ) रा०४नीतिने।
બીજો પ્રકાર; પહેલા પ્રકારથી દુશ્મન વશ ન થાય તેા પછી કંઇક આપી લલચાવી તેને शवानी नीति राजनीति के चार भेदों में से दूसरा भेद; पहले प्रकार से शत्रु के वश न होनेपर उसे कुछ लालच देकर वश करने की नीति ( In politics) the 2nd mode of bringing an enemy under subjection viz. enticing him to submit by offering sonie gift चिवा० ३; नाया० १; राय० २०६; उवचूह. पुं० (उपबृंह ) सभानधर्मियांना स६गुल्गुनी प्रशंसा री तेभना भनने उत्साहित ५२वा ते. समधर्मियोंके सद्गुणकी प्रशंसा करके उनके मनको उत्साहित करना Encouraging; cheering up; cheering up comrades in a common profession by praising their virtues. पन्न० १; पंचा० १५, २४; प्रव० २६६; उवबूहण न० ( उपबृंहण ) निलाव; रक्षणु;
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वृद्धि; पोषणु निभाव; रक्षा; वृद्धि. Eucouraging; nourishing; protecting. पंचा० २, २८ परह० २, १; ५; उवबूहणिय. त्रि० ( उपबृंहणिक ) वृद्धि - पुष्टि
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[ उपभोग
२. पुष्टि करने वाला Nourisher of the body. निसी ० ६ ११; उवबूहा. स्त्री० ( उपबृंहा ) गुणिन्ननाना गुणुनी પ્રરાંસા કરવી; સમક્તિના આ આચારમાંના पांयभामायार. गुणीजनों के गुणकी प्रशंसा करना; सम्यकूत्व के आठ आचारोंमिसे पांचत्रा आचार. Praising, glorifying the merits of the meritorious; the 6th of the eight Āchāras of right belief or Samakita. उत्त० २८, ३१;
उपबूहिऊणं. प्र० (उपबृंध) मुंड मुंड आवाज उर्शने. कुह कुह शब्द करके, Having made a noise resembling "Kuha, Kuha; cooing. सु० च० १, १६३;
उवबूहिंत त्रि० ( उपबृंहत् ) प्रशंसा ४२तो. प्रशंसा करता हुआ. Praising; applauding; गच्छा ० ३४; उव-भुंज. घा० I ( उप+भुज् ) भावु खाना. To eat; to dine. उजर्भुजइ. नाया० ७; उबभुंजसि. सुत्र च० १, २१३; उवभुत्त. त्रि० ( उपभुक्त) भोगवेल. भोगा हुआ. Enjoyed भत्त० ३६; उवभेोग. पुं० ( उपभोग ) उपभोगनी वस्तु;
જેને વારંવાર ઉપમાગ થઇ શકે તેવા સ્ત્રી वस्त्रभूषण वगेरे. उपभोगकी वस्तु; जिस का वारंवार उपभोग हो सके ऐसी वस्तु-स्त्री वस्त्र, भूषण आदि An object of enjoyment; an object of enjoyment which is not consumed by being used once, e. g. clothes, ornaments etc. कप्प० ३, ४४; प्रव० २३; २४;
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२८२; क० गं० १, ५२; पन • उवा० १, २२; ५२; पंचा० १,
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