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इरियज्झवण]
( १५० )
[इरियावाहिश्रा
इरियज्झयण. न० (ईर्याध्ययन ) आया। of Karma (Kriyā-sthānaka );
સૂત્રની પ્રથમ ચૂલિકાનું ત્રીજું અધ્યયન. a Karma incurred by a careful आचारांग सूत्र की प्रथम चूलिका का तीसरा and well-restrained Sādhu by qeyry. The third chapter of the thought and action of the first Chulikā of Achāränga movement, by twinkling the Sutra. आया० २, ३, १, ३०५;
eye etc. सम० १३; सूय० २, २, १६ इरियट्ट. त्रि० ( ईार्थ ) या-विशुद्धि म. २३; -बहिय बंध. न० (-पथिकबन्ध)
ईर्या अर्थात् विशुद्धि के लिये. Aiming गमनहिया थी मागतो भगंध. गमन की at purity or carefulness in क्रिया से होता हुआ कर्म बंध. Karmic walking. ठा०६;
bondage incurred by walking. इरिश्रा-या. स्त्री. (ई) गमन लिया; भग०८, ८; -समिइ. स्त्री० ( -समिति) ઉપગપૂર્વક ચાલવું તે; સમિતિનો એક ચાલવામાં થતા રાખવી તે; પાંચ સમિતિ
२. गमन क्रिया; उपयोगपूर्वक चलना; भांनी पत्री समिति. चलने में यत्नाचार समिति का एक भेद. Carefulness in रखना; इस प्रकार ध्यान पूर्वक चलना जिसस walking; a variety of Saniti जीवों को बाधा न हो; पांच समिति में की Or carefulness. ओव० १७; भग. २, पहिली समिति. carefuiness in walk१; ३, ३; पिं. नि० ६६२; उत्त० २४, २) ing; the first of the 5 Samitis. ४: उवा० १, ७८; --असमिति. स्त्री. ठा० ५, ३: ८: काप० , ११६; -समिय. ( -असमिति) यासमितिनी समार. त्रि. ( समित) या पूर्व यानार; इंर्यासमिति का अभाव. lack of care- यी समिति युत. यत्नाचार पूर्वक चलने fulness in walking. भग० २०, २; वालाः इा समिति का पालन करनेवाला. -~-वह. पुं० (-पथ) गमन भार्ग. जाने (one ) walking with care and FI HIN. a way or road to go attention. नाया. १, ५; १४; १६: by. भग० ३, ३, ११, १०; ठा. -वह भग० २, १: १२, 1; १८, २, २०, २; किरिया. स्त्री० (-पथ क्रिया) गमन दमा० ५, ६ यि विशेष. गमन की क्रिया विशेष. a. | इरियावहिवा. स्त्री ( ईर्यापथिकी) रियाkind of Karma arising from वही किया; ११.१२.१२ १३ में शो walking. ठा० ५; -वहि. त्रि. ઉપશાંતમોહ કે ક્ષણનેહવાલા સાધુને કેવલ (-पथिक) तेरभुं लिया स्थान; समिति યોગ નિમિતે સાતવેદનીય કર્મ રૂપે કર્મ બંધ ગુપ્તિ યુકત યાવંત સાધુને હાલતાં ચાલતાં याय ते. इरियावही क्रिया; ११, १२ और આંખની પાંપણ હલાવતાં યોગ નિમિત્તે ક્રિયા ! १३ वें गुणस्थान में उपशांत मोह या क्षीण सागते. तेरहवां क्रिया स्थानक; समिति, गुप्ति मोहवाले साधु को केवल योग के निमित्त से युक्त यत्नावान् साधु को हलन चलन करने साता वेदनीय कर्म रूप जो बंध हो वह. या आंख के पलकों को हलाने पर योग के Iriyāvahi . Kriya; i. e. Karmic अर्थात् मन वचन, काय के कर्म के निमित से bondage incurred by an asceजो कर्म बंध हो वह. the 13th source tic in the 11th, 12th and 18th
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