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उदगणाय ]
उद्गणाय. पुं० ( उदकशात ) पाना पाली ના દૃષ્ટાંતવાનું જ્ઞાતાસૂત્રનું ૧૨ મું અધ્યયન खाई के जल के दृष्टान्त वाला ज्ञातासूत्र का १२ वा अध्ययन. Name of the 12th chapter of Jñātā Sūtra containing an illustration of diteli water. सम ० १६; नाया० १; उद्गत्तः न० ( उदकत्व ) पाणी. जलपना; जलत्व. Stute of being water. " बहवे उदगजोगिया जीवा य पोगला य उदगत्ताय वक्रमति " ठा० ३; मग ०२, ५; उदगसीमय. पुं० ( उदकसमिक ) मे नामनो એક વેલંધર નાગરાજના આવાસ ખેત. वेलंधर नागराज के निवास करने के एक पर्वत का नाम Name of a moun tain-abode of Velandhara
Nāgaraja. जीवा० ३; उदग्ग. त्रि० ( उ ) उट; न; उत्तरे। त्तर वृद्धिवासुं. उत्कट; तीव्र; उन्नत; उत्तरोत्तर वृद्धि वाला Fierce; intense, tali; lofty. mighty; increasing. "उदगो दुप्पहंसए" उत्त० ११, २० भग० २, १; नाया० १; ५; चारिततव. पुं० स्त्री० ( - चारित्रतपस् - उदयं प्रधानं चारित्रं तपश्च यस्य स तथा ) प्रधान थारित्र तय वले प्रधान चारित्र - तप वाला. one of austere right conduct and penance उत्त. १३, ३५; उदत्त त्रि० ( उदात्त ) उत्त; प्रधान श्रे५.
( २१६ )
उदात्त; प्रधान; मुख्य; श्रेष्ठ; उदार. High; lofty; prominent उत्त १३, ३५; भग० २, १; ३, १:१, ३३; ( २ ) अडा रात्रि स्वर २ अकारादि स्वर का एक प्रकार. & particular variety ( accent ) of vowel sound प्रव०
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[ उदय
उदस्ताभ. पुं० ( उदात्ताभ ) गौतम गोत्रनी खेड शाखा याने तेन पु३५. गौतम गोत्र की एक शाखा और उस शाखा का पुरुष. Name of a branch of Gautama family-stock; a person belonging to this branch. "ते उदत्ताभा ठा० ७, १;
उदधि. पुं० (उदधि ) समुद्र The ocean; the sea जीवा० ३, १६
उदय. पुं० ( उदय ) अवुः प्रगट : अध्य धुं ते. ऊगना; प्रगट हाना; उदय होना. Rising; coming to view; ap pearance. ठा० २, १: पण्ह० २, ४; सू० प० १; नाया० ३; ओव० ११ ( २ ) अभ्युदय; अडती. अभ्युदयः बढती; चढती. rise; prosperity सूय० २, ६, १६; पिं० नि० ४१४; (३) ५०; उत्पत्ति पैदा होना; उत्पत्ति birth; creation; production. सम० ३२ ( ४ ) ना ભરતખંડમાં થનાર સાતમા તીર્થંકરનું નામ. जंबुद्वीप के भरतखंड में होने वाले सातवें तीर्थकर का नाम the name of the 7th would-be Tirthankara of Bharatakhanda in Jambudvipa. सम० प० २४१; ( 4 ) मुद्री मां अरतક્ષેત્રમાં થનાર ત્રીજા તીર્થંકરના પૂર્વભવનું नाम अंबुद्वीप के भरतखंड में होने वाले तीसरे तीर्थंकर का पूर्व भव का नाम the name in the past birth of the third would-be Tirthankara of Bharatakhanda in Jambudvipa. सम० प० २४१; ( ६ ) ुर्मनुं वियाा लिમુખ થવું તે; ક્ષાનાવરણીયાદિ કર્મને ઉદય, कर्म का विपाक (फल देने) के सन्मुख होना; ज्ञानावरणीयादि कर्मों का उदय. maturi
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समुद्र ; दर्याः
सू० प० १६:
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