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गोपालसहाय स्त्री सहणू प्रतिष्ठा कारापिता ।
वालर के कुछ मूर्ति यंत्र लेख
पुत्र हेमचन्द रामचन्द चौधरी
पाषाणमूर्ति - १।। फुट ऊंचाई चोड़ाई १५ इंच
सं० १४७० वर्षे उद्दण्डधारा श्रीउदय राज्य देवराज्ये चौहानवंशे श्रीमूलसंघे नंद्याम्नाये बलात्कार गणे सरस्वती मक्छे कुन्दकुन्दाचार्यान्वये भट्टारक श्री पद्मनन्दिदेव तत्पट्टे (पढ़ा नही जाता )
चन्द्रप्रभु मूर्ति - १॥ फुट ऊंचाई ११ फुट चौड़ाई । सं० १५३० माघ सुदि १० गुरौ श्री गोपाचले महाराजाधिराजकीर्तिदेव विजयराज्य प्रवर्तमाने भ० श्री मलय कीर्ति तत्पट्टे भ० गुणभद्र" जिनदास मल्लिदास उपदेशात्
मंत्र
सं० १६०० फाल्गुन वदि १ मूल संघे भ० ललित कीर्ति देवास्तत्पट्टे भ० रत्न कीर्तिदेवोपदेशात् जैसवालावये कणपुरिया गोत्रे हासू भा० खरगादे तत्पुत्रास्त्रयाः आसकरण, हरिमलजाणी मथुरा ऐते नित्य प्रणयति ।
वेदी नं० २ – इसमें पाषाणमूर्ति २३, चरण १ धातु मूर्ति छोटी-बडी ९५ हैं, जिसमें से कुछ मुख्य सूर्तियों के लेख नीचे दिए जाते है :
शान्तिनाथ - २ फूट ऊंची १ ॥ फूट चौड़ाई
१ संवत् १५१४ वैशाख सुदि १० काष्ठा संघे श्री भट्टारक मलकीर्ति श्री भ० गुणभद्राम्नाये...... (शेष पढ़ा नहीं जाता )
२ बाहुबली धातु-४ इंच ऊंची खड्गासन २ इंच चौड़ी सं० १५२२ माघ सुदि १३ मूलसंघे बलात्कारगणे सरस्वती गच्छे भ० जिनचन्द्र देवा भ० सिंहकीर्तिदेवा: श्री खेमचन्द्र तत्शिष्यती
।
३ सहस्रकूट चैत्यालय - ६ इंच ऊँची ४ इंच चौड़ाई
सं० १५०६ चैत्रसुदि ११ शुक्रवारे मूलसंघे भ० जिनचन्द्राम्नाये......।
४ पंचमेरू – १५ इंच ऊँची ३ इंच चौड़ी
सं० १७२५ मार्ग शीर्ष पंचमी शुक्रे श्री माथुर संघ पुष्करगणे लोहाचार्यन्वये श्री कुमारसेनदेवा श्रुतकीर्ति मेकीति भ० गुणभद्राम्नाये प्रग्रोतकान्वये गर्ग गोत्रे हेममल्ल भार्या रामदेवी......।
५ चतुविशति धातु - १ फूट ऊंचाई ६ इंच विस्तार
सं० १५३० वैशाखसुदि १३ वेदी नं० ३
१२३
१
इस वेदी में कुल ६८ मूर्तियां हैं जिसमें पाषाण मूर्ति पद्मासन २८ धातु की ४० और १ सिद्ध परमेष्ठी खड्गासन धातुमूर्ति संभवनाथ - ६ इंच ऊँचाई ३ इंच चौड़ाई स० १५४९ [ वर्षे ] फागुनसुदि ११ भौमे म० त्रिभुवनकीति सा० माधो भार्या करमा पुत्र रतन... धातु चोवीसी-६ इंच ऊंचाई ४ इंच चौड़ी २ सं० १५२२ वर्षे..सुदि १३ मूलसंघे श्री जिनचन्द्रदेवा तत्पट्टे सिंहकीर्तिदेवा पोरवाडान्वये सा० ऊदा भार्या छेमा पुत्र सा० सन्तोष भा० खोम्हदे पुत्र हल्यू.......
३
water मूर्ति धातु - ६ इंच ऊँचाई १|| चौड़ाई सं० १६६० वर्षे फाल्गुणमासे......।
चौवीसी धातु - ६ इंच ऊची, १॥ चौड़ाई
४
सं० १५२७ वर्षे माह वदि ५ शुक्ले मूलसंघे भ• सिहकीर्ति देवा जैसवालान्वये ......।
५
पार्श्वनाथ धातु - १० इंच ऊंचाई, ५ इंच चौड़ी स० १५२६ वैशाख सुदि ७ बुधवासरे मूलसंघे भ सिंह कीर्तिदेवा सा० जोगिन्दु भा० खाम्हदे पुत्र राम [ चन्द ] भा० गुणसिरि पुत्र करमू भार्या द्योमा पुत्र...... भा. पृथिवी ।
धातु पंचवालयति - ६ इंच ऊंची, ६ इंच चौड़ी ६ सं० १०३२ वैशाख सुदि ३ गुरुवासरे शुभे.......
इस मन्दिर में एक शास्त्रभंडार भी है, जिसमें डेढ़सी दो सौ के लगभग ग्रंथ हैं। उन्हें देखने का अवसर नहीं मिल सका । कारण कि शास्त्र भंडार दिखाने की व्यवस्था करने वाले मक्सीजी पार्श्वनाथ के मेले में चले गए थे। ग्वालियर के प्रास-पास के स्थानों में महत्वपूर्ण सामग्री पड़ी है, परन्तु जैन समाज को उसके संकलित करने या विद्वानों को दिखाने के लिए अवकाश ही नहीं मिलता। और न वे स्वयं ही उसका उपयोग कर सकते हैं ।
समाज के हितैषियों भौर जैनधर्म के प्रेमियों से निबेदन है कि वे इस घोर अपना लक्ष्य देकर महत्वपूर्ण सामग्री को नष्ट होने से बचाने का यत्न करें। और हस्तलिखित ग्रंथों को वीर - सेवा मन्दिर में भिजवाने का कष्ट करें, जिससे उनका संरक्षण हो सके । *