Book Title: Anekant 1969 Book 22 Ank 01 to 06
Author(s): A N Upadhye
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 232
________________ चन्देल युग का एक नवीन प्रतिमा लेख ज्योतिप्रसाद जैन एम ए. ३१६६० ३. पुरातत्व (इतिहास, संस्कृति, स्थापत्य कला ) चन्द्रगुप्त मौर्य और विशालाचार्य परमानन्द १३/२७६ चपानगर इयामलकिशोर झा ६४८१ ― चपावती नगरी-नेमचंद घन्नुस जेन १६३३४ चाणक्य और उनका धर्म- मुनि श्री न्यायविजय २।१०५ चामुण्डराय और उनके समकालीन प्राचार्य - प. नाथूराम प्रेमी २६२ चित्तौड का कीर्तिस्तभ-प नेमचन्द धन्नूसा जैन २११०३ चिसो का दि० जैन कीर्तिस्तम्भ-परमानन्द शास्त्री २१।१७६ चित्तौड के जंनकीर्तिस्तम्भ का निर्मालिकाल श्री नीरव जैन २१।१४६ चित्तौड के जनकीर्तिस्तं मे का निर्माणकाल एव निर्माताश्री अगरचन्द नाहटा ८१३६ चित्रमय जंगीनीति-सम्पादक ४२ ज जगतराय की भक्ति - गंगाराम गंगं एम. ए. १७/१३३ जयसेन प्रतिष्ठापाठ की प्रतिष्ठा विधि का प्रशुद्ध प्रचारश्री पं. मदारिया १५३८ जातिभेद पर श्रमितगति आचार्य-जुगलकिशोर मुख्तार १।११५ जैन अनुश्रुति का ऐतिहासिक महत्व - बा ज्योतिप्रसाद ७।१७६ जैन भागमों के कुछ विचारणीय शब्द मुनि श्री नथमल २०/४० जैन और वैदिक अनुभुतियो में ऋषभ तथा भरत हो भवावलि - डा. नरेन्द्र विद्यार्थी १६ । ३०६ जैनकला और उसका महत्व - बा० जयभगवान ५।३ जनकला के प्रतीक मोर प्रतीकवाद डा. ए. के. भट्टाचार्य, डिप्टी कीपर राष्ट्रीय संग्रहा लय दिल्ली, धनु. जयभगवान उडवोकेट ९४।६८९ जैन कीर्तिस्तम्भ चित्तौड़ के अप्रकाशित शिलालेख - श्री रामवल्लभ सोमानी जयपुर २२/३६ जैन गुहा मन्दिर - श्री बालचन्द्र जैन एम. ए. १०।१२६ जैन ग्रंथ संग्रहालयों का महत्व डा. कस्तूरचन्द कासलीवाल १०।१९६ - जैन ग्रंथों में राष्ट्रकूटों का इतिहास रामवल्लभ सोमाणी २१।११४ जिन जातियों के प्राचीन इतिहास की समस्या श्री प्रगरचन्द्र नाहटा ५।३२१ जैन दृष्टिसे प्राचीन सिन्ध-मुनि श्रीविद्याविजय २।५०७ जैनधर्म और जातिवाद - श्री कमलेश सक्सेना M. A. मेरठ १८६३ जैनधर्म की देन प्रा. क्षितिमोहन सेन ४५५१ जैनधर्म में सम्प्रदायों का आविर्भाव - प. कैलाशचन्द शा० १४।३१६ जैनधर्म मे मूर्तिपूजा-डा. विद्याधर जोहरापुरकर १७।१५५ जैन धातु मूर्तियों की प्राचीनता - श्री प्रगरचन्द नाहटा १० २७१ जैन परम्परा का आदिकाल - डा, इन्द्रचन्द्र शास्त्री MA. १४१९६ जैन परिवारों के वैष्णव बनने सबधी श्री अगरचंद नाहटा १५।२८२ जैन पुरातस्य मे गंगा-यमुना-श्री नीरज जैन १६-४० जैन पुरातन अवशेष (विहगावलोकन) -मुनि कातिसागर ६।२२५, २६१ जनप्रतिमा लक्षण - बालचन्द्र जैन एम ए. १६ २०४ जैनमूदिकला का प्रारम्भिक स्वरूप- रमेशचंद शर्मा २१५ 'वृतान्त १६।१४२ जैन सरस्वती वा ज्योतिप्रसाद जैन ८६१ - जैसलमेर के भण्डार को छानवीन सम्पादक १०।४२५ जैन साधुनों की प्रतिमाएँ - श्री बालचन्द जैन एम. ए. १६।२३६ जैन साहित्य में ग्वालियर मुनि कातिसागर २।५३६ जैन साहित्य में मथुरा डा. ज्योतिप्रसाद जैन १५०६५ जैन संस्कृति के प्राण जैनपर्व - प. बलभद्र जैन ७।१५ जैन स्थापत्य की कुछ भद्वितीय विशेषताएँबा. ज्योतिप्रसाद जैन M.A. ३४३ जैनादर्श (जैन गुण दर्पण संस्कृत 'युगवीर' ८३५४ जैनियो की दृष्टि मे विहार पं. के. भुजबली शा. ३०५२१ जैनियों पर घोर प्रत्याचार - प्रो. हेमुल्ट ग्लाजेनव ८८०

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