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३. पुरातत्त्व (इतिहास, संस्कृति, स्थापत्य, कला)
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प्राचार्यकल्प पं. टोडरमल जी-प. परमानन्द शास्त्री ऊर्जयन्तगिरि के प्राचीन पूज्य स्थान-जगलकिशोर म० ६।२५
१४।२१६ प्राचार्य नेमिचन्द्र सिद्धान्त चक्रवर्ती की बिम्ब योजना
डा. नेमिचन्द्र जैन एम. ए. पी एच. डी. १५५१६६ ऋषभदेव और महादेव-हीरालाल सि. शा. १४।११२ प्राचार्य विद्यानन्द का समय और स्वामी वीरसेन- ऋषभदेव और शिवजी-बा. कामताप्रसाद जैन १२।१८५
बा. ज्योतिप्रमाद जैन एम. ए. १०।२७४ आत्मविद्या क्षत्रियों की देन-मनि श्री नथमल २०११६२ एक ऐतिहासिक अन्त : साम्प्रदायिक निर्णयअानन्द सेठ-प. हीरालाल सि. शा. १४॥ २६६
लाला ज्योतिप्रसाद जैन ८।१६६ आमेर के प्राचीन जैन मन्दिर : उनके लेख
एक खोजपूर्ण विचारणा-श्री अगरचन्द नाहटा १६७६ पं. अनूपचन्द न्यायतीर्थ १६॥२०॥
एक जैन सम्राट् चन्द्रगुप्त - प. ईश्वरलाल जैन ४११०० प्राचार्य विद्यानन्द के समय पर नवीन प्रकाश
एक प्रतीकाकित द्वार- गोपीलाल अमर एम. ए. २२॥६० न्या.प. दरबारीलाल कोठिया' १०६१
एक प्राचीन ताम्र-शासन-सम्पादक ८।२८५ प्राचार्य श्री समन्तभद्र का पाटलिपुत्र
एरिचपुर के राजा ईल और राजा परिकेशरीडा. दशरथ शर्मा एम. ए. डी. लिट ११६४२
प. नेमचन्द्र धन्नूसा जैन १९।२१६ पार्य और द्रविड-संस्कृति के सम्मेलन का उपक्रम- एलिचपुर के राजा श्रीपाल उर्फ ईल-- बा. जयभगवान जैन एडवोकेट १२१३३५
पं. नेमचन्द धन्नूसा जन २०३५२ पार्यों से पहले की सस्कृति-श्री गुलाबचन्द्र चौधरी एम. ए १०।४०३
ऐतिहासिक अध्ययन-वा. माईवयाल जैन २१५९६ पाश्रम पट्टन ही केशोराय है-डा. दशरथ शर्मा १६७० ऐतिहासिक घटनाग्रो का एक संग्रह-सम्पादक ८.३६६
ऐतिहासिक भारत को प्राय मूर्तियाँइटावा जिले का सक्षिप्त इतिहास-श्री गिरोशचद्र त्रिपाठी
श्री बालचन्द जैन एम. ए. १०।११४ १०।२६५
ऐतिहामिक सामग्री पर विशेष प्रकाशइतिहास-प. नाथ राम प्रेमी ११५६६
अगरचन्द्र नाहटा ६१६५
गोलक-पद कल्पना (११वी प्रतिमा का इतिहास-) उच्चकुल और उच्चजाति महात्मा बुद्ध के उद्गार
श्री जुगलकिशोर मुस्तार १०५३८७ बी. एल. जैन ३७७
ऐहोल का शिलालेख-प. के. भुजबली शास्त्री १५८७ उच्जैन के निकट प्राचीन दि.जैन मूर्तियाँब्रा. छोटेलाल जैन १२।३२७
कविवर बनारमोदास की सास्कृतिक देनउत्तर कन्नड का मेरा प्रवास-पं. के. भुजबली जैन शा. डा. रवीन्द्रकुमार जैन १५॥१६३ १२१७६
कवि लक्ष्मण रचित मिणाह चरिउ का गोणंद नगर पौर उपनिषदों पर घमण संस्कृति का प्रभाव-मुनि श्री नथमल उसमें रचित व्याकरणग्रन्थ-डा. दशरथ शर्मा १६।२२८ १६।२६२
कावड़ : एक चलता-फिरता मन्दिर-महेन्द्र भानावत १७१७ उस विश्वबन्द्य विभूति का धुंधला चित्रण-देवेन्द्र जैन ३७७ कारी तलाई की जैन मूर्तियां-पं. गोपीलाल अमर एम. ए.
२०१२४२ ऊन पावागिरि के निर्माता राजा बल्लाल
कारजा के भट्टारक लक्ष्मीसेन-डा. विद्याधर जोहरापुरकर पं. नेमिचन्द्र धन्नूसा जैन २२।२७
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