________________
८. सामयिक
समय और हम-श्री जैनेन्द्र १५२१५५
सग्रह की वृत्ति पोर त्यागधर्म-चैनसुखदास न्यायतीर्थ समय का मूल्य-मुनि श्री विद्यानन्द १६।३५६
१२।१२३ समाज सुधार का मूल स्रोत-पं. श्रेयाशकुमार ४188 सम्मान समारोह का विवरण एक पत्रकार-६६१६४ सरकार द्वारा मांस भक्षण का प्रचार-प. हीरालाल सि. स्त्री शिक्षा-हेमलता जैन १४६ शा. १४१२२५
स्त्री शिक्षा पद्धित-भवानीदत्त शर्या २१६२० सरल योगाभ्यास-हेमचन्द मोदी ३३३४३
स्मृति रखने योग्य महाकाव्य-श्रीमद्राजचन्द ३।२७ सर्वोदय का अर्थ-प्राचार्य विनोबा भावे १७।३२ स्वतन्त्रता देवी का सदेश-(नीति विज्ञानसे) २१४९२ सागार धर्मामृत मोर सावयपन्नत्ती-प. बालचन्द शा' स्वागत भाषण- लाला प्रद्युम्नकुमार ६१६६ ____ सोलापुर १६३१५५
स्वावलंबन और स्वतन्त्रता-जमनालाल जैन ७।११७ सामायिक विचार-श्रीमद्राजचन्द्र ब.३ ५८, कि. ४ टा. ३ । स्वास्थ रक्षाके मूलमन्त्र -राजवंद्य शीतलप्रसाद सार्वजनिक भावना और सार्वजनिक सेवा
११५१.७६ बा. माईदयाल जैन बी. ए. ४१२६३
ह साहित्य सम्मेलन की परीक्षामों में जैनदर्शन
हम और हमारा ससार-बा. सूरजभान वकील ३१५५६ रतनलाल सघवी ३१५६, ३।४११
हमारी यह दुर्दशा क्यों ? -सम्पादक ८.१ साम्पदायिक दंगे और अहिंसा-बा. राजकुमार जन हमारी शिक्षा-बा. माईदयाल बी. ए. ११८७ ८।२३५
हमारी शिक्षा समस्या-प्रभुदयाल जैन प्रेमी ७।२१६ मिद्धांत शा. पं. देवकीनन्दन जी का पत्र-१५१६६
हरिजन मन्दिर प्रवेश के सम्बन्ध में मेरा स्पष्टीकरणसीतल सेवा मन्दिर देहली के लिए अपील-५।१६४
क्षु. गणेशप्रसाद वर्णी १०१३५५ सूतक पातक विचार-बा. रतनचन्द जैन मुल्लार
हरी साग सब्जी का त्याग-बा. सूरजभान २०५३०, ११।३७६
५७५ सेठ भागचन्द जी सोनी के भाषण के कुछ प्रश ५।२०७ सेवाधर्म दिग्दर्शन–सम्पादक २।२३८
हिन्दु कोड बिल-बा. माईदयाल जैन बी. ए. १०१२६४
हिमाब का सशोधन (टाइटिल) -१३।३ सौ. सौ के तीन पुरष्कार कि. ६ टा. पे. ३ संयम (प्रवचन) क्षु. गणेशप्रसाद वर्णी-१०।१५७
हृदय की कठोरता- मुनि कन्हैयालाल २२१८०
हृदय द्रावक दो चित्र -बा. महावीर प्रसाद जैन ॥२५४ संसार में सुख की वृद्धि कैसे हो-दौलतराम मित्र ३२९२
हेम चन्द्राचार्य और ज्ञान मन्दिर-सम्पादक २१४३२ संस्कारों का प्रभाव-पं. हीरालाल सि. शा. १४०२०८, १४१२७४
होली का त्यौहार-सम्पादक ३।३५०
६. विविध
प्रतीत स्मृति (एकाके च)-पं. कन्हैयालाल ६।४७ अनुसंधान का स्वरूप-प्रो. गोकुलप्रसाद जैन एम. ए.
अनेकान्त के मुख पृष्ठ पर चित्र-संपादक ८१३३३ अनेकान्त के प्रेमी पाठकों से-वर्ष १४कि. टा. २ अनेकान्त के प्रेमियो से निवेदन-सपादक ४१३९ अनेकान्त के सहायक- [वर्ष ४ कि. ४ टा०३ भनेकान्त पर प्रभिमत- १५१४६
भनेकान्त का वार्षिक हिसाब और घाटा (अधिष्ठाता
समन्तभद्राश्रम) १०६६