Book Title: Anekant 1969 Book 22 Ank 01 to 06
Author(s): A N Upadhye
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 315
________________ अनेक स्थान नाम गर्भित भ० पार्श्वनाथ के स्तवन भंवरलाल नाहटा वर्तमान चौवीसी मे पुरिसादानीय भगवान पार्श्वनाथ ४ गौडी पार्श्वनाथ स्तवन, शान्तिकुशल की प्रसिद्धि सर्वाधिक है। उनके जितने तीर्थ, मन्दिर और इनमे से दो मे तो १०८ स्थानों की नामावली है प्रतिमाए भारत में विद्यमान है, अन्य किसी भी तीर्थकर , तथा अन्य दो मे इनसे भी न्यूनाधिक नाम दिये हुए है । के नही। प्राचीन मान्यता के अनुसार भ० पाश्वनाथ के हमारे संग्रह मे ऐसी कई अप्रकाशित रचनाए है जो १५वी जन्म से पूर्व ही उनके तीर्थ व प्रतिमाए पूज्यमान थी। से १८वी शताब्दी के बीच की है। इनमे पार्श्वनाथ के भगवान अरिष्टनेमि के समय में सखेश्वर तीर्थ यादवपति त स्थानों के नाम बहुत से तो एक समान है पर कुछ भिन्नश्रीकष्ण की सेना की मूर्छा जो जरासन्ध को जरा से हुई भिन्न भी है। इनसे जिसे जो नाम याद थे उनसे वे अपनी थी-इन्ही सखेश्वर पाश्र्वनाथ के प्रभाव से दूर हुई थी। रचना में मम्मिलित कर लिए, सिद्ध होता है। इन स्थानो भ० पार्श्वनाथ के अधिष्ठाता शासन देव-देवी पार्श्व यक्ष में अब पार्श्वनाथ के मन्दिर कहां-कहां है एवं कहा-कहा धरणेन्द्र पद्मावती विशेष जागरूक होने से एव मन्त्र-यन्त्रो , रहे इसकी खोज की जानी चाहिए। कुछ स्थान तो मे उनसे सम्बन्धित सामग्रीप्राचयं के कारण भ० पाव तीर्थ रूप में प्रसिद्ध है, पर कई स्थानो का पता लगाना नाथ की पूजा-अर्चा भी बहुलता से होती आई है । बीस भी भी कठिन हो गया है। कई स्थान पाकिस्तान में चले गये तीर्थकरो की निर्वाणभूमि सम्मेदशिखर महातीर्थ जैनेतर एव कइयो की प्रतिमाएँ अन्यत्र चली गयी एव नष्ट भी समाज मे 'पारसनाथ पहाड़' के नाम से ही प्रसिद्ध है। हो गये । पार्श्वनाथ के कई तीर्थो के सम्बन्ध मे स्वतन्त्र बगाल मे तो अन्य तीर्थकरो को कम ही जानते है। पर ग्रन्थ निकल चुके है, एव उन तीर्थों के सम्बन्ध में कई कलकत्ते में भारत प्रसिद्ध कातिक महोत्सव की रथयात्रा चमत्कारिक बाते-प्रवाद रूप से प्रसिद्ध है। ३७ वर्ष पूर्व धर्मनाथ स्वामी की हात हुए भा पाश्वनाथ की कहलाती जैनसस्ती वाचनमाला से "श्री प्रगट प्रभावी पार्श्वनाथ है एव रायबद्रीदास कारित शीतलनाथ जिनालय भा तथा जैन तीर्थमाल" ग्रंथ प्रकाशित हया था जिसमे १११ 'पार्श्वनाथ' के नाम से प्रसिद्ध है। जितने विविध प्रकार पार्श्वनाथ सम्बन्धी चमत्कारिक कथाएँ संगृहीत है। यो सख्याधिक स्तुति स्तोत्रादि पाश्वनाथ भगवान के उपलब्ध इस ग्रन्थ में १८४ स्थानो का विवरण दिया है। पार्श्वनाथ है उतने अन्य तीर्थकरो के नही। प्राकृत, सस्कृत अपभ्रश, के स्थानों सम्बन्धी एक ही ग्रथ में इतनी सामग्री अन्यत्र हिन्दी, राजस्थानी, गुजराती में रचित स्तोत्र-स्तवनादि नही मिलती। जनसस्ती वाचनमाला से सखेश्वर पार्श्वनाथ, को सख्या हजारो पर है इनमे से कई स्तोत्रों मे १०८ या स्तभन पार्श्वनाथ सम्बन्धी तीन ग्रंथ स्वतन्त्र भी निकल नोभी अधिक स्थान नामभित स्तवन प्राप्त होते है। चके हैं। विविध तीर्थकल्प, उपदेश सप्ततिका प्रादि ग्रथों श्री विजय धर्मसूरिजी समादित प्राचीन तीर्थमाला सग्रह में भ० पार्श्वनाथ के कई कल्प हैं हीं। स्तभन पार्श्वनाथ भाग १ मे ४४ वर्ष पूर्व पार्श्वनाथ संबन्धी ऐसी चार सम्बन्धी छोटे-छोटे कल्पों का संग्रह भी सस्कृत मे पन्द्रहवी रचनाए प्रकाशित हुई थी शताब्दी का प्राप्त होता है । १ पार्श्वनाथ चैत्यपरिपाटी, कल्याणमागर कई स्तोत्र ऐसे भी हैं जिनमे भ० पार्श्वनाथ के गुण२ पार्श्वनाथ नाममाला, मेघविज्य गभित १०८ नामों का संग्रह है। संभव है १००८ नाम३ पार्श्वनाथ सख्याभितस्तव, रत्नकुशल गभित स्तोत्र भी रचा गया हो। यहां जो रचनाएं प्रका

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