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६. विविध
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बुद्धि हत्या का कारखाना-गृहस्थ से उद्धन ३।१९४।
मनुष्य कर्तव्य -प. मुन्नालाल विशारद १.१५३ महत्व की प्रश्नोत्तरी--सपादक ५१२६ महावीर का मार्ग-मोहनी सिंघवो २११८५
यह सितमगर कब !-कु० पुष्पलता २१६५१ यशपाल जैन का अध्यक्षीय भाषण २०।२२२
रिक्सा गाड़ी-हरिप्रसाद शर्मा 'अविकसित' ५:३०
लहरो मे लहराता जीवन-श्री 'कुसुम' जैन ८।२७७ लोकमगल कामना-सपादक ४।४७८
श शाश्वत क्षणो मे-अजित मुनि निर्मल १६:२४३ शुद्धि प्रयोग की पृष्ठ भूमि-मुनि श्री नेमचन्द १६४६ शाति भावना-प. काशीराम शर्मा प्रफुल्लित ५।१८१ श्री वीर जिन स्मरण- सपादक ७।८६ शान्ति का -सपादक ११५४४ श्रद्धार्घ-बा. छोटेलाल जैन ६।१८६ श्रद्धा के फल-श्री भगवत जैन ६१६० श्री भद्रबाहु जी का अभिमत १३।२४६
सम्पादकीय-गोयलीय ६८३,६११६, ६।१६४, ६२०८,
हा२४१, ६।२८० सम्पादकीय -- १६।२६ १३.६८ सम्पादकीय (नव वर्षारम्भ)-जुगलकिशोर मुख्तार १२१२६ सम्पादकीय-८।३१५, ८१४६६ सम्पादकीय -११५६, ११३२२ सम्पादकीय-७।२०, ७।१६४ सम्पादकीय-- ६।१४५, ६।३२१ सम्पादकीय-(प महेन्द्र कुमार जी का लेख) ५।३२६ सम्पादकीय (अनेकान्त) की वर्ष समाप्ति ५१४२३ सम्पादकीय (अगले वर्ष की योजना) ५।४२४ सम्पादकीय (शाह जवाहरलाल जी और जैन ज्योतिषी)
५।२५५ सम्पादकीय टिप्पणियाँ-३१७६५ सम्पादकीय नोट-परमानन्द जैन १४१२० सम्पादकीय नोट-जुगलकिशोर मुख्तार सम्पादकीय नोट-परमानन्द जैन १३१२२६ सम्पादकीय वक्तव्य (भारत की स्वतत्रता उसका झडा और
कतंव्य) ८।३६३ सम्पादकीय विचारणा-६।३०४ समर्थन-प. परमानन्द जैन शारत्री ॥३४४ सयुक्तिक सम्मति पर लिखे गये उत्तर लेख की निःसारता
प. रामप्रसाद शास्त्री ४।३६४, ४१४३०, ४१५६७,
४१६१७ सिद्ध स्मरण-सपादक ७२१ सिंह म्वान-ममीक्षा-प. हीगलाल सि. मा १३१५१ सुख का स्थान-परमानन्द शास्त्री २१॥ सुख दुख-श्री लज्जावती जैन २।३६६ सुख शान्ति चाहता है मानव-श्री भगवत जैन १५१२ स्वरूप भावना-मम्पादक ६।१२६ स्वागत-प्रो. गयाप्रसाद शुक्ल ६३१८१
सतसाधु वंदन-संपादक ४।१ संतुलन अपना व्यवहार-मुनि श्री कन्हैयालाल १६०५० सम्बोधन और सूचना-प. सुग्वलाल वेचरदास ११२२० सन्मति विद्या विनोद-जुगलकिशोर १४१३२७ सम्पादक की ओर से-६२२३ सम्पादकीय-१६।६२ सम्पादकीय सपादक १०॥४०, १०।२२५, १०४५७ सम्पादकीय-१४१४१ सम्पादकीय-१४१३५४