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२४२, वर्ष २२ कि०५
अनेकान्त
सुभाषित कविताएँ-संपादक २।३००, २१३५४, २१४४२,
२२४५२, २।४७२ सुभाषित गद्य-२।२५२, २०३८६, २१५५७, २१५६१,
२१५६३, २१६५४, २१६२५ सुभाषित मणियां-२।१२१ सुभाषित मणियाँ-सम्पादक ११४६, १११०७, १११५७,
१२२३२, १।३१२, १३३३०, ११४६६, ११५६६
सुमति जिन स्तवन-समन्तभद्र १८१ सूक्त मुक्तावली (कविता)-बनारसीदास २।३१० स्वयम्भू स्तुति--पद्मनन्दि १६:१६६ स्वयभू स्तुति-पद्मनन्द्याचार्य २१११६७, २११४५ स्व स्वरूप में रम-१९२३३
'अनेकान्त' के लेखक
गोपीलाल 'प्रमर'
१. इन लेखकों की रचनाएँ मूल, अनूदित या उद्धृत रूप में, इस पत्र की अब तक की ३१२ किरणों
में प्रकाशित हुई हैं। २. लेखक के बाद लिखे गये अंकों में प्रथम अंक वर्ष का और द्वितीय अंक पृष्ठ का सूचक है।
कुछ लेखकों का नाम या नामांश भिन्न-भिन्न रूपों में प्रकाशित हुअा है, उदाहरण के लिए श्री जुगलकिशोर को कभी सिर्फ 'यूगवीर' लिखा गया है ऐसी स्थिति में यथासभव समीकरण करके
एक ही नाम को सूचीबद्ध किया गया है। ४. अकारादि क्रम में मूलनाम को मुख्य माना गया है। नामों के आदि में लगे 'श्री', 'पं.', 'डा०',
'प्रो.' प्रादि को इसीलिए कोष्टक में रखा गया है। ५. अंग्रेजी वर्णों को हिन्दी उच्चारण के आधार पर ही अकारादि क्रम में रखा गया है, उदाहरण के
लिए 'बी. एल. सराफ' को 'ब' के अन्तर्गत रखा गया है, न कि उनके पूरे नाम 'भैयालाल सराफ' के अनुसार 'भ' के अन्तर्गत ।
१२।२८८, १२।२४७, १२।११३, १२।२२७, अक्षयकुमार जन-१६।१८
११११२८, १२२४८, १०१३३१, १०॥३२७, (श्री) मखिल- १२॥३६६
१०।१६, १०१२७१, १०४०७, १०८, ६।२२२, पखिलानन्द रूपराम शास्त्री-८११३८
८।१३६, ८।४४. ८।४५७, ८।४५६, ७६०, ६६५, मखलेश ध्रुव- ६११८६
६।३०६, १४६, ५१३२१, ४१४७०, ४१४५, ४१ प्रगरचन्द नाहटा-२१११७२, २१॥३९,२१११३४, २१।११०
५४५, ४१३३६, ४१६१०,४१३८६, ३।६४०, ३।४६४, २१३१६८, २०२३५, २०१२०७, १९४३६७, १९८१
३।२६३, ३१४६८, ३११४६, २५४३, २०१५५ १९।२९४, १८॥२३८, १८।१५८, १८५६, १७४१०,
२।२५० १४६१, १७२२६, १५७६, १६१३६, १६.१८८, १६।२३७, १६२८१, १५२६८, १५२२५२,१२२२९, (प.) मजितकुमार शास्त्री-१४।२३०, १२।१३०, ८१४१, १५॥१५०, ११२०६ १११७०, १४१२३२, ६६१८०, ५१६८, २१६६ १४॥१९९, ११३००, १४११६२, १३३७२, १३।१०७ मजितप्रसाद जैन एडवोकेट-४।२४३, ४१६५, २१५६.