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११२ वर्ष २२ कि. ५
अनेकान्त
हिन्दी का प्रथम प्रारमचरित-पं. बनारसीदास ६.१६ हिन्दी जैन साहित्य में अहिंसा-कुमारी किरणबाला जैन हिन्दी के प्रसभ्य ग्रंथों की खोज-डा. कस्तूरचन्द
१२।२५६ कासलीवाल १६।२२५
हिन्दी जनमाहित्य मे तत्त्वज्ञान-कुमारी किरणबाला हिन्दी के जैन कवि-श्री जमनालाल जैन विशारद ६३२ १२।१६५, १२।२२३ हिन्दी के दो नवीन काव्य-मुनि कान्तिसागर है।३४३ हिन्दी भाषा के कछ ग्रंथों की नई खोज-परमानन्द जैन हिन्दी न कवि और काव्य-डा. प्रेमसागर जैन
१३।१०१ १९३४७
हिन्दा साहित्य सम्मेलन और जैन दर्शनहिन्दी जैन साहित्य और हमारा कर्तव्य-अगरचन्द नाहटा २।२५०
प सुमेर चन्द जैन न्या. ३१२८४ हिन्दी जनसाहित्यकी विशेषता-श्री कुमारी किरणवाला हेमगज गोदी का और प्रवचन सार का पद्यानुवादजैन १३।१५६
परमानन्द शा. ११४३४% हिन्दी जैन साहित्य के कुछ अज्ञात कवि
हेमराज नाम के दो विद्वान-परमानन्द शास्त्री बा. ज्योतिप्रसाद एम. ए. १०।३७३
१८।१३५
३. पुरातत्त्व (इतिहास, संस्कृति, स्थापत्य, कला)
अयोध्या एक प्राचीन ऐतिहासिक नगर-परमानन्द शास्त्री अग्रवालों का जैन संस्कृति में योगदान-परमानन्द जैन १७१७८
अनार्य देशो में तीर्थकरो ओर मुनियों का विहारशास्त्री १९।२७६, १६३२६ अमवालों का जैन संस्कृति में योगदान-पं. परमानद
मुनि श्रीनथमल १७११२२ शास्त्री २०१८, २०११७७, २०१२३३
महन्महानन्द तीर्थ-पं. परमानन्द जैन शास्त्री ४।४२५ अग्रवालों का जैन संस्कृति में योगदान-परमानन्द शास्त्री
अलोप पार्श्वनाथ प्रसाद- मुनि श्री कान्ति सागर २०१५१
अहार का शान्तिनाथ संग्रहालय-श्री नीरज जैन १८१२२१ २११४६, २१९१, २१११८५ अचलपुर के राजा श्रीपाल ईल-नेमचन्द धन्नूसा जैन
प्रहार क्षेत्र के प्राचीन मूतिलेख१९४१०५
पं. गोविन्ददास जी कोठिया ६।३८३ अतिशय क्षेत्र प्रहार-श्री नीरज जैन १८।१७७
प्रहार क्षेत्र के प्राचीन मूर्ति लेख-पं. गोविंददास न्यातीर्थ अतिशय क्षेत्र-इलोरा की गुफाएँ
१०।२४, १०१६६, १०९७, १०।१५३ बा. कामताप्रसाद जैन ४६
प्रहार लड़वारी-श्री यशपाल जैन बी. ए. ४१२२६ अतिशय क्षेत्र कोनी-सि. हुकमचन्द साधलीय १६६४२ प्रातिशय क्षेत्र खजुराहो-परमानन्द शास्त्री १३।१६० मा. कुन्दकुन्द पूर्ववित् पौर श्रुत के साथ प्रतिष्ठापक हैमतिशय क्षेष चन्द्रवाड-परमानन्द शास्त्री ८.३४५ पं. हीरालाल सि. शा. १४१३१७ अतिशय क्षेत्र श्री कुण्डलपुर-श्री रूपचन्द बजाज ६।३२१ भागम और त्रिपटकों के सन्दर्भ में प्रजातसम्प्रषिक
तीत के पृष्ठों से (कविता)-भगवतस्वरूप २।२३७ मुनि श्रीनगराज २१०२५, २१३५६ अन्तरिक्ष पार्श्वनाथ श्रीपुर तथा श्रीपुर पार्श्वनाथ स्तोत्र- भागमों के पाठभेद और उनका मुख्य हेतुनेमचन्द धन्नूसा जैन १८६६
मुनि श्री नथमल १७४११०