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जैन तंत्र साहित्य - डा. कस्तूरचन्द कासलीवाल १८१३३
चतुर्थ वाग्भट्ट और उनकी कृतियाँ - पं. परमानन्द शास्त्री जैन मन्दिर सेठ के कूंचा देहली की ग्रंथसूची ४।४७२ जैन मुनियो के नामान्त पद-प्रगरचन्द नाहटा ४।१४५
६८७६
जैन लक्षणावली
चतुविशति तीर्थंकर जयमाला (स्तुति) -
श्री बाजीवर १५।१४७
चर्चरी का प्राचीनतम उल्लेख डा. दशरथ शर्मा एम. ए.
डी. लिट् १५२८६
चारुकीति गीत डा. विद्याधर जोहरापुरकर २०२०
२. साहित्य
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चित्रदर्शन चित्र परिचय, २०६३, ११६७०
,
चुनडी ग्रंथ - पं. दीपचन्द्र पांड्या ५।२५७
१४वीं शताब्दी की एक हिन्दी रचना
प. कस्तूरचन्द कासलीवाल एम. ए. १२।२३ छ
छ कोष और शीन सरक्षणोपाय छप चुकेश्री मगरचन्द नाहटा १४।२०६
ज
जगत्सुन्दरी प्रयोगमाला (सम्पादकीय नोट सहित ) - दीपचन्द्र पाया २६११ जगत्सुन्दरी प्रयोगमाना की पूर्णता संपादक २०६८५ जयपुर की संस्कृतसाहित्यको बेन श्रीपुण्डरीक विट्ठल ब्राह्मण, डा. श्री प्रभाकर शास्त्री १८१८७ जसहर चरिउ की एक कलात्मक सचित्र पाण्ट्रलिपी
डा. कस्तूरचन्द्र कासलीवाल १६।५१ जीरापल्ली पार्श्वनाथ स्तोत्र. जुगलकिशोर मुख्तार
२४६
जैन अपभ्रंश का मध्यकालीन हिन्दी के भक्तिकाव्य पर प्रभाव - डा. प्रेमसागर जैन १५।५७, १५/१२३ जैन कथा साहित्य की विशेषताएँ- डा. नरेन्द्र भानावत १९।१३१
जैन काव्य में विरहानुभूति - गंगाराम गर्ग २२०३३ प्रशस्ति संग्रह २४१३३, २४६४ ९४२१४ १४१४७, १४२११, १४२४३, १४१२७४, १४३०७, १४१३५२
जैन ग्रन्थ प्रशस्ति संग्रह पर मेरा अभिगत--- प. दरबारीलाल कोठिया १७३३
जैन चम्पू काव्यों का अध्ययन-अमरचन्द नाहटा १२२६७
२०५
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- सपादक ३।१२६
जैन शास्त्र भडार सोनीपत में मेरे पांच दिन
माईदयाल जैन बी. ए. बी. टी. १६८
जैन साहित्य का अनुशीलन- डा. इन्द्रचन्द्र एम. ए. १५१३१ जैन साहित्य का दोषपूर्ण विहगावलोकन
प. परमानन्द जैन शास्त्री १२।२५६
जैन साहित्य के प्रचार की आवश्यकता - सुरेन्द्र ४५३ जैन साहित्य मे श्रार्य शब्द का व्यवहार-साध्वी श्री मजुला
१४।७४
जैन साहित्य मे प्राचीन ऐतिहासिक सामग्री
श्री वासुदेवशरण प्रवाल क्यूरेटर ५३१३ जनसिद्धांत भवन मूडबिदी की ग्रंथसूची ४५६८ जैन संत भ. बीरचन्द्र की साहित्य सेवा- डा. कस्तूरचन्द कासलीवाल एम. ए. पी. एच. डी. १५२० जिन स्तुति पर्चाविशतिका - महाचन्द्र १४ ३१५ जैनियो का अपना साहित्य मुनि कातिसागर ४४०१ जेसलमेर के महारो के प्राचीन ग्रंथों के फोटू
मुनि हिमाशुविजय १६०५
जैसलमेर के भंडारों मे प्राप्त कुछ नवीन ताडपत्रीय प्रतियां - श्री भगरचन्द नाहटा ८|४४ ज्ञानार्णव योगशास्त्र एक तुलनात्मक अध्ययनबालचन्द्र सि. शा. २०१७
ज्ञानसागर की स्फुट रचनाएँ - डा. विद्याधर जोहरापूरकर
२१।१७० z
डा. जेकोबी और वासी चन्दन कल्प - मुनि श्री महेन्द्रकुमार द्वितीय १८१२४७
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वार्थसूत्र का मंगलाचरण-क्या. पं. दरबारीलाल कोठिया ५।२२१, ४३६३
तवायंसूत्र के प्रणेता उमास्वामी पं. सुखलाल १३८५ तत्वार्थ सूत्र के व्याख्याकार और व्याख्याएँ
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पं. सुखमा १५७९