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अनेकान्त
२०४, वर्ष २२ कि. ५
ग
कविवर भगवतीदास (अग्रवाल) और उनकी रचनाएँ- क्षत्रचूड़ामणि और उसकी सूक्तियां-पं. सुमेरचन्द्र दिवाकर परमनन्द शास्त्री ११।२०५
बी. ए., एल. एल. बी. ५।१४४ कविवर भाऊ की काव्य साधना-डा. कस्तूरचंद्र
क्या द्रव्य सग्रह के कर्ता व टीकाकार समकालीन नहीं हैं ? कासलीवाल १७॥१७२
-परमानन्द शास्त्री १६२६६ कविवर भूधरदास और उनकी विचारधारा-पं. परमानंद क्या नियुक्तिकार भद्रबाहु और स्वामी समतभद्र एक है ? शास्त्री १२।३०५
-न्या. पं. दरबारीलाल ६।३३ कविवर लक्ष्मण और जिनदत्त चरित्र-पं. परमानन्द जैन क्या व्याख्याप्रज्ञप्ति षट् खडागम का टीका ग्रथ था?शास्त्री ८१४००
श्री प. कैलाशचन्द्र जन १५॥६ कविवर रइधु द्वारा स्मृत विद्वान-परमानन्द जैन ११२१७ क्या रत्न. कर्ता स्वामी समंतभद्र ही है?कविवर रइधू रचित सावय चरिउ-श्री अगरचद्र नाहटा पं. नाथूराम प्रेमी ७।२६ १७.१०
क्या रत्नकरण्ड श्रावकाचार स्वामी समन्तभद्र की कृति कविराजमल्ल का पिंगल पीर भारमल्ल-संपादक ४।१३३, नहीं है ?-न्या. प. दरबारीलाल ६।३७६ ४२४५, ४।३०३
क्या रत्नकरण्ड श्रा. स्वामी समन्तभद्र की कृति नहीं है ?कर्णाटक जैन कवि-श्री नाथूराम प्रेमी ११८१, १३१६१, प. दरवारीलाल ७।१०५, ७।१८६
११३३३, ११४५६ कर्णाटक साहित्य मोर जैन कवि-प. के. भुजवली शास्त्री गदर से पूर्व की लिखी हुई ५३ वर्ष की जन्तरी खास११४७१
संपादक ८।१० कला का उद्देश्य-प्रो. गोकुलप्रसाद जैन एम. ए.१४॥२७१ गोम्मटसार एक संग्रह ग्रंथ है-पं. परमानन्द शास्त्री कल्पसिद्धांत की सचित्र स्वर्णाक्षरी प्रशस्ति-कुन्दनलाल ३।२९७ जैन एम. ए. १८।१७५
गोम्मटसार और नेमिचद्र-संपादक ८।३०१ कल्पसूप की एक प्राचीन लेखक प्रशस्ति-डा. वासुदेवशरण
गो० कर्मकाण्ड की त्रुटि पूति-पं. परमानन्द शा. ३१५३७ अग्रवाल १०२२
गो० कर्मकाण्ड की त्रुटिपूर्ति के विचार पर पर प्रकाश कसाय पाहुड मौर गुणधराचार्य-परमानन्द शास्त्री १४८
-प. परमानन्द शास्त्री ३१७५७ कार्तिकेयानुप्रेक्षा एक अध्ययन-हा. ए. एन., उपाध्ये एम. गो० कर्मकाण्ड की त्रुटिपूर्ति पर विचार-प्रो. दीरालाल ए. डी. लिट् १५।२४
जैन ३१६३५ कुछ प्रशात जैन ग्रंथ-हीरालाल सि. शा. १९२३५१ गो० कर्मकाण्ड की त्रुटिपूर्ति लेख पर विद्वानोक विचार कुछ नई खोजें-परमान्द शास्त्री १११३७०
और विशेष सूचना-संपादक ३१६२७ कुछ अप्रकाशित कथा ग्रंथ-कुन्दनलाल जैन एम.ए. एल. गोम्मटसार जीवकांड का हिन्दी पद्यानुवादटी. १५॥३२
पं. परमानन्द शास्त्री १२।२५४ कुमुदचन्द्र भट्टारक-पं. के. भुजबली शास्त्री १११७८
गंधहस्ती-पं. सुखलाल श२१६ कुरल काव्य और जैन कर्तृत्व-विद्याभूषण पं.गोविन्दराय अन्य बोर अन्धकार (मुलाचार मौर कार्तिकेयानुप्रेक्षा)शाची १२१६१२००
संपादक ८।२२७ कुलपारमाणिक स्वा . विद्यापर बोहरापुरकर ग्रंथ प्रशस्ति संग्रह पोर दि० जैन समाज२११३३
श्री प्रगरचन्द्र नाहटा ५४६ कुलपाक के माणिक स्वमी -पं.के. भुजबली शास्त्री प्रथों की खोज के लिये ६०.) के छह पुरस्कार२१११३१
जुगलकिशोर मुख्तार १३१५५