Book Title: Anekant 1969 Book 22 Ank 01 to 06
Author(s): A N Upadhye
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

View full book text
Previous | Next

Page 226
________________ साहित्य मृगपक्षी-शास्त्र-उद्वत ४१५४३ वादिराज सूरि-पं. माथूराम प्रेमी ५११३६ मृत्यु महोत्सव-जमनालाल जैन ६।१४० वादिचन्द्र रचित अम्बिका कथासार-श्री प्रगरचंद नाहटा मेरी भावना (कविता) अतिरिक्त पृष्ठपूर्व ६।१५३ १३।१०७ मेरी भावना का सस्कृत पद्यानुवाद वादीसिंह मूरि की एक प्रधुरी अपूर्व कृतिप. धरणीधर शास्त्री ४।२३४ पं. दरबारीलाल कोठिया ६।२६१ मोक्षमार्गस्यनेत्तारं-या. प. महेन्द्रकुमार ५१२८१ विदर्भ के दो हिन्दी काव्य-डा. विद्याधर जोहरापुरकर मोह-दिवेक-युद्ध-परीक्षण-डा. रवीन्द्र जैन तिरुपति १९९७ १८११०७ विदर्भ में गुजराती जैन लेखक-प्रो. विद्याधर जोहरापुरकर मौजमाबाद के जैन शास्त्र भण्डार में उल्लेखनीय ग्रंथ- १४।२०६ परमानन्द शास्त्री १३८० विद्यानन्द का समय-पं. दरबारीलाल कोठिया ७६७ मंगलाचरण पर मेरा अभिमत-पं. सुमेरचन्द्र दिवाकर विद्यानन्द कृत सत्यशासन परीक्षा-4. महेन्द्रकुमार शा. ५।२६४ ३१६६० विश्ववाणी का जैन सस्कृति अंक-सम्पादक २४ योग सम्बन्धी जैन साहित्य-श्री अगरचद नाहटा १६।२३७ विश्व शद्धि पर्व पर्यषण-बाबू बालचन्द कोछल १११२३३ यशस्तिलक का संशोचन-पं. दीपचद पाड्या ५२७७ वीतगगस्तवन के रचयिता-अगरचंद नाहटा १२।११३ यशोधरचरित्र के कर्ता पद्मनाथ कायस्थ वीर की लोकसेवा-माणिकचंद बी. ए. ७.३ प. परमानन्द शास्त्री १०.१५१ वीर के वैज्ञानिक विचार-पं. धर्मकुमार जैन एम. ए. यशोधरचरित्र सम्बन्धी जैन साहित्य-प्रगरचन्द नाहटा ७.१३६ १।१०८ बीरनन्दी और उनका चन्द्रप्रभचरित्र-अमृतलाल शास्त्री यापनीय साहित्य की खोज-पं नाथराम प्रेमी ३१५६ ११४८ युक्तयनुशासन : एक अध्ययन-दराबारीलाल जैन कोठिया वीर शासन के कुछ मूल सूत्र-युगवीर १११५६ २२१७३ वीरशासनाक पर सम्मतियां ३।२३५, ३।२९२, ३।२६६ योगीन्द्रदेव का एक और अपभ्र श ग्रंथ-ए. एन. उपाध्ये वीरसेनाचार्य-अयोध्याप्रसाद गोयनीय २।३३५ व्यक्तित्व-प्रयोध्याप्रसाद गोयलीय ९।३५५, ६।३०६ योनिप्राभूत मौर जगत्सुन्दरी प्रयोगमाला--सम्पादक २०४८५ र इधू कृत "सावय चरित्र" समत्तकउमई ही हैयोनिप्राभूत और प्रयोगमाला-पं नाथूराम प्रेमी १६६६ प्रो. राजाराम जैन एम.ए. १७४२५० वरदत्त की निर्वाण भूमि और वराग के निर्वाण पर विचार रतनचंद और उनका काव्य-गाराम गर्ग एम. ए. पं. दीपचन्द जैन पाण्डया ॥६६ १७।१५० रत्नकरण्ड और प्राप्तमीमांसा का एक कर्तृत्व अभी तक वरांगचरित्र दिगम्बर है या श्वेताम्बर ?-पं. परमानंद शास्त्री ४१६२३ सिद्ध नहीं-प्रो. हीरालाल जैन एम. ए. ८२६, वसुनन्दि के नाम से प्राकृत का एक संग्रह ग्रंथ : तत्वविचार ८८६, ८।१२५ प्रो. प्रेमसुमन जैन एम. ए. शास्त्री २२।३६ रलकरण्ड पौर प्राप्तमीमांसा का एक कर्तृत्व प्रमाण सिद्ध वाग्भट्ट के मंगलाचरण का रचयिता है-न्या. पं. दरबारीलाल जैन ८.१५४, ८२८२, श्री क्षुल्लक सिद्धसागर १७५२४८ ८।३२८, ८।४१५

Loading...

Page Navigation
1 ... 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334