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१. सैद्धान्तिक (धर्म, दर्शन, न्याय, व्याकरण)
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पेड पौधों के संबंध में जैन मान्यताओं की वैज्ञानिकता- भारतीय दर्शन शास्त्र-प. माधवाचार्य १४१६६ प. चैनसुखदास ६।१३६
भारतीय दर्शनों मे प्रमाण भेद की महत्वपूर्ण चर्चा
डा. दरबारीलाल कोठिया बुद्धघोष और स्याद्वाद-डा. भागचन्द जैन १६।२६२ बौद्ध तथा जैन ग्रन्थो में दीक्षा-प्रो. जगदीश चन्द एल. ए. ३।१४३
मनुप्यनी के सजद पद के सबध मे विचारणीय शेष प्रश्नबौद्ध तथा जैन धर्म पर एक सरसरी नजर-बी. एल. सरीफ डा. हीरालाल जैन एम. ए. ८।१६३ २।३०३
मनुष्योमे ऊचता नीचता क्यो?-प. बशीधर व्या. २१६००, ब्रह्मचर्य-महात्मा गांधी ३१५०३
३।६७१ ब्रह्म जिनदास-परमानन्द शा. ११।३३३
मनुष्यो मे ऊचता नीचता क्यो?--बशीधर व्याकरणाचार्य ब्रह्म जिनदास का एक अज्ञात रूपक काव्य-श्री अगरचन्द ३१५१६ नाहटा ११॥३१३
महात्मा गाँधी के २७ प्रश्नो का गमाधान-श्री मद्राजचन्द्र
३।५२६, ३१५४१ भक्ति योग रहस्य-सम्पादक ४१५५
मुक्ति और उसका उपाय-बा. भागीरथ जी वर्णी २१५३६ भगवान महावीर और उनका लोक कल्याणकारी सन्देश- मुनियो और धावको का शुद्धोपयोग-4. हीरालाल जैन डा. हीरालाल एम. ए. १०।२५६
सि. शा. १३१४४ भगवान महावीर और उनका सर्वोदय तीर्थ
मूल में भूल-बा. अनन्त प्रमाद जन BSC. १०।४२१ परमानन्द शास्त्री १११५५
मूलाचार की कुन्दकुन्द के अन्य ग्रन्थो के साथ समताभगवत् शरण मे कारण-सम्पादक ८.६७
प. होरालाल सि.शा.१२।३३७ भगवान महावीर और उनका अहिंसा सिद्धात
मुलाचार की मौलिकता और उनके रचयिता-पं. हीरालाल न्या. प. दरबारीलाल कोठिया ५२५६
सि. शा. १२१३३७ भगवान महावीर के शासन मे गोत्र कर्म-कामताप्रसाद
मलाचार सग्रह ग्रन्थ न होकर प्राचारांग के रूप में मौलिक ३।२८
ग्रन्थ है-प. परमानन्द शा. १२१३५५ भगवान महावीर और उनके दिव्य उपदेश-. हीरालाल
मेडक के विषय में एक शंका-दौलतराम मित्र ३१७१८ सिद्धात शास्त्री १४१२५३
मेडक के विषय मे शका समाधान-दौलतराम भित्र ५।३२३ भगवान महावीर और बुद्ध परिनिर्वाण-मुनि श्री नगराज
मेडक के विषय में शका समाधान-सिघई नेमिचन्द्र ४।२६२ २०१८७, २०१२१६
मोक्ष तथा मोक्ष मार्ग-पं. बालचन्द काव्यतीर्थ ७।१४४ भगवान महावीर प्ररूपित अनेकान्त वास्तविक स्वरूप--- श्री कान जी स्वामी ७१६८
मोक्षमार्ग की दृष्टि से सम्यक ज्ञान का निरूपण
पं. मग्नाराम जैन बडौत १७१८२ भगवान महावीर की झाकी-बा. जयभगवान ५३१११ भगवान महावीर की शिक्षा-डा. कुतलकुमारी ११४५३
मोक्ष मुख-श्री मद्राजचन्द्र ३१४०७ भाग्य और पुरुषार्थ-बा. सूरजभान ३।३५६, ३।४०८ भारतीय दर्शन की तीन धाराएं-भगवानदास एम. ए. १७११६४
युक्त्यनुशासन की प्रस्तावना-पं. जुगलकिशोर मुस्तार भारतीय दर्शन में जन दर्शनका स्थान-हरिसत्य भट्टाचार्य ११।२६७ ३१४६७
योग मार्ग-बा. हेमचन्द मोदी ११५३६