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सालोनी ग्राम में उपलब्ध प्राचीन मूर्तियां
महेशकुमार जैन राजस्थान के अलवर जिले में अरावली पर्वत की रहा था, क्योंकि मुझे अपने मकान में छप्पर के लिए शाखा सानोली पहाड़ी की घाटी में स्थित सानोली ग्राम लकड़ी की जरूरत थी। मैंने पेड़ काट दिया और जमीन प्राज जनजन के प्राकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। इसी खोदकर ज. निकालने लगा। ग्राम के एक निवासी श्री बहराम को पिछले दिनों अपने
मैंने तीन चार फूट ही खोदा था कि मुझे एक बर्तन खेत में खुदाई करते समय प्रष्ठ धातु की भव्य एवं मनो
(गंधोदक पात्र दिखाई दिया, बर्तन को देखकर मुझे हारी सात दिगंबर जैन प्रतिमाएं, पद्मावती की दो मूर्तियाँ
कुछ दहशत सी हुई मैंने बर्तन उठाकर बाहर निकाला, तथा पूजा के तीन बर्तन प्राप्त हुए थे। सभी मूर्तिया
तो उसके नीचे गोलाकार में मूर्तियां रखी दिखाई दी, जब सुरक्षित है।
मेरी हिम्मत जवाब दे गयी और मैंने तुरंत ही बराबर के रेतीले, ऊबड़-खाबड़ रास्ते को पार कर जब मै
खेतो मे ऊंट चरा रहे लोगों को आवाज दी। उनके पहुंचने दिल्ली से ७३ मील दूर सानोली गाव पहुँचा, तो ग्रामीणो
पर मैंने मिट्टी मे दबी सभी नौ मूर्तियां तथा दो और ने मुझे घेर लिया और पूछा आप जैनी है ?
बर्तन निकाले । चार दिन तक तो हमने मूर्तियों को घटना__ मैंने 'हाँ' कहकर जब उनसे यह पूछा कि क्या इस
स्थल पर ही रखे रहने दिया तथा उनकी दिन-रात गांव में कोई जैन रहते है, तो सभी ग्रामीणों ने एक स्वर
चौकसी की। से कहा, 'यह ग्रहीरो गांव अवश्य है, पर यहाँ तो सभी
कुछ लोगों ने मुझे इन मूर्तियों को सरकार को सौपने जैनी ही जैनी है ? यहा के एक शिक्षित प्रौढ़ श्री प्रताप
की सलाह दी, पर मैने इन्हे गांव वालों को ही सौप देना सिंह यादव ने कहा, 'इस गाव का कोई भी वृद्ध, युवक
ठीक समझा, खेत से हम मूर्तियों को जलूस मे लाये और और बालक सदियो से माँस, शराब, तंबाकू और हुक्का
गाव के बीच इस देवालय में प्रतिष्ठित कर दिया। व बीड़ी छूता तक नहीं, फिर आप बताएं हम अहीरो मौर जैनो मे क्या फर्क रहा, हम जैन नही है तो और
सानोली के निवासियो ने अपने गांव मे जैन मंदिर क्या है ? इन सब चीजो के खाने-पीने वाले को हमारे यहाँ
बनवाने के लिए दस बीघा जमीन देने का निश्चय किया समाज से बहिष्कृत कर दिया जाता है।
है। बाबा बहराम ने कहा-मेरे खेत मे जिस स्थान से भोले-भाले ५० वर्षीय बाबा बहराम की खुशियों का मूत
मूतिया निकाली हैं, वहा 'चरण' स्थापित हो चुके है, मैने माजकल पारावार ही नहीं। उनके पास अपनी २२ उक्त स्थान के
उक्त स्थान के इर्द-गिर्द का चार बीघा का अपना खेत इस बीघा जमीन है तथा उनके एक पुत्र और पुत्री है। जो काम क लिए दन का
र काम के लिए देने का सकल्प किया है, मंदिर के लिए भी व्यक्ति उनके पास जाता है, वह उससे प्रेम से गांव वालों ने एक समिति बना ली है। मिलते है, उसे पूरी घटना सुनाते है, उनकी यही कोशिश गांव के एक वृद्ध बाबा बुधराम ने कहा, बाबू शाम रहती है कि मूर्तियों के दर्शन के लिए गांव मे पाये किसी यही ठहरिये और 'भारती' लेकर जाइए। उन्होंने कहा व्यक्ति को कोई तकलीफ न हो, बार-बार कहने पर भी कि प्रातः पौर सायं गांव का प्रत्येक नर-नारी और वह बिना चाय पिलाये उठने नही देते।
बालक इस मंदिर मे इकट्ठा होता है तथा भारती उतारी बाबा बहराम से जब मैंने भूतिया मिलने की घटना जाती है । यह ठीक है कि गांव में कोई धर्मशाला नहीं, के बारे में पूछा तो वह जमीन पर मेरे बराबर बैठ गये संभव है मापको रात में ठहरने में कठिनाई हो, पर जहाँ भौर बोले, उस दिन की घटना तो मैं जीवन में कभी न तक हो सकेगा, हम मापको कोई तकलीफ न होने देंगे। भुला सकंगा । परमात्मा ने मेरे तो सभी कष्ट दूर कर गांव वालों ने बताया कि सानोली ग्राम देश रक्षा दिये । गत २१ जूलाई की बात है, सुबह नौ बजे के लग- कार्यों में भी सदैव मागे रहा है गांव के कई जवान चीनी भग अपने खेत में खड़े जांट (शमी) के पेड़ को मैं काट मोर पाकिस्तानी दुश्मन से जुझते हुए शहीद हो गए।