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१६६
वर्ष
६
१०
११
१२
१३ १४
१२
x
१६
१७
१८.
१६
२०
२१
२२
अंक
प्रारम्भ काल
१२ मासिक ज्येष्ट २००४ ५)
"
मासिक
६ अंक
ง
"
"
"
फागुण २००६
ज्येष्ट २००८
श्रावण
"1
चैत्र
"
"
"
"1
13
29
31
२०१०
२०२०
२०२१
२०२२
२०२३
२०२४
२०२५
मूल्य कुल पृ.
४९०
२०२६
"
19
"
२०११ ६) ३२२ जैतली सा. को छोड़कर पूर्वोक्त ४
२०१३
३६२
२०१६
३६०
27
32
"
11
"
३८६
४६० सिर्फ जुगलकिशोर जी मुस्तार
**
३६०
३६०
३६०
३८२
अनेकान्त
३६०
३६०
सम्पादक
मुख्तार सा०, मुनि कांतिसागर जी दरवारीलालजी, प्रयोध्या प्रसाद जी
૪૨૦
किरण १० से बाबू छोटेलाल जी जयभगवान जी,
डी. एस. जंतली, परमानन्दजी
ए. एन. उपाध्ये, रतनलाल कटारिया, डा. प्रेमसागर, यशपाल जैन
चैत्र २०१६ से चैत्र २०२० तक हम भी इसके संपादक मन्डल में रहे हैं। अनेकांत में अब तक हमारे भी निम्नांकित ११ लेख प्रकाशित हुए हैं :
जून अंक से रतनलाल को छोड़कर बाकी ३ उपरोक्त
संख्या
इस तरह २२ वर्षों के सब मंकों की कुल पृष्ठ संख्या २ हजार से ऊपर है इनमें ज्ञान की अतुल निधि संग्रहीत है जिसे एक तरह से "जैन विश्व कोष" कहना चाहिए । कुछ अंको में मन्दिर मूर्ति सम्बन्धी प्राचीन महत्वपूर्ण चित्र भी संकलित किए गए है।
33
31
37
वर्ष
१२
अक
६ नवंबर १९६९
समय
१२ १ अप्रैल ६२
१५ १
-
37
जून पंक से परमानन्द प्रतिम ग्रक युगवीर स्मृति जी शास्त्री भी इस तरह कुल ४
अक
विशेष
संचालक भारतीय ज्ञानपीठ काशी कि० ११-१२ सन्मति सिद्धसेनांक
१५ २ जून ६२
वीर सेवामन्दिर, दिल्ली से कि० १ सर्वोदयतीयांक कि० ७ से महिसा मन्दिर, दिल्ली किरण १० से मूल्य ६)
मुखपृष्ठ सादे
"
समन्तभद्राश्रम (वीरसेवामन्दिर) मुखपृष्ठ पर "हाथी और ६ जन्मांध " चित्र प्रत्येक अक पर अलग-अलग प्राचीन मूर्ति - चित्र
प्रथम अंक बाबू छोटेलाल जैन स्मृति धक
लेख का शीर्षक
वसुनदि धावकाचार का सशोधन रात्रिभोजनत्यागः छठा अणुव्रत जयसेन प्रतिष्ठापाठ की प्रतिठा विधि का प्रशुद्ध प्रचार 'दर्शन' का अर्थ मिलना