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सालोनी प्राम में प्राचीन उपलम्ब मूर्तियां
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गांव के अनेक युवक आज भी फौज में सीमा पर तैनात हैं। पास पहुँच कर नियम लिए।
यह पूछने पर कि इन मूर्तियों के निकालने पर खुदाई में प्राप्त लगभग सभी मूर्तियां एक हजार वर्ष क्या गांव में कोई विशेष बात हुई, तो वहाँ एक के बाद प्राचीन है। मूर्तियां भगवान पार्श्वनाथ, श्री श्रेयांस नाथ एक चर्चा चल पड़ी। वही बैठे ७० वर्षीय श्री शिव- तथा पदमावती देवी को है। पूजा के तीन वर्तन-सागर, नारायण यादव ने कहा, "मैं वायु के दर्द के मारे अपने
धूपदान, गधोदक पात्र है। जीवन से परेशान आ गया था। मैंने प्रारती के बाद सानोली गांव मे खुदाई में जिस ढंग से मूर्तियाँ भगवान से प्रार्थना की और एक रु. का प्रसाद बोला। मिली उससे स्पष्ट है कि उक्त मूर्तियों को खंडित होने मेरा वर्षों पुराना वायु का दर्द दूर हो गया ।" से बचाने के लिए जमीन में गाड दिया गया। गांव के
भूतपूर्व फौजी जुगलाल ने कहा, "मेरी भैस का पड़ा कुछ पढ़े-लिखे लोगों ने बताया कि जिस जगह ये मूर्तियाँ मर गया था तथा वह दूध नही देती थी। मैंने प्रसाद निकली हैं, वह सम्पूर्ण क्षेत्र सनोदखेडा कहलाता था । बोला और उसी वक्त से मेरी भैस दूध देने लगी? कछ लोग उक्त क्षेत्र का नाम बिलासपुर तथा कांतिगढ
झम्मन नाई ने कहा कि भगवान के प्रताप से महीनों भी बताते है। पूर्व खोयी मेरी अंगूठी मिल गयी। एक अन्य ग्रामीण ने कहते है जब मेवों ने हमला कर इस क्षेत्र को जीत कहा कि पिछले वर्ष हमारे एक प्रादमी की, जो कि दिल्ली लिया. तो लोगों ने इन मूर्तियों को खंडित न होने देने के से यहाँ प्राया था, अंगूठी खो गयी थी। मूर्तियाँ निकली लिए इन्हें जमीन में गाड दिया। कालातर मे अहीरों ने सुनकर एक वर्ष बाद जब वह पूनः पिछले दिनों गांव
मेवों को मार भगाया और सनोदखेड़ा क्षेत्र वीरान हो पाए, तो उन्हे वही अंगूठी रास्ते में मिट्टी पर सामने ही गया। अहीरों ने सनोदखेडा के निकट ही यह सालोनी ऊपर रखी मिली। गांव के इस रास्ते पर हर रोज प्रात: गांव बसाया। से साय तक सैकड़ों लोग गुजरते है।
सालोनी गाँव की प्राबादी लगभग एक हजार है प्रापको शायद यह जान कर पाश्चर्य हो कि सानोली तथा यहाँ लड़के-लडकियो का एक स्कूल भी है। गांव ग्राम के ठीक बीच में आज भी एक ऐसा नगाड़ा रखा है, तक पहुँचने के लिए कोई पक्का रास्ता भी नही है। जिसके बजाते ही मिनटों मे गांव का हर निवासी अपने रेतीले. ऊबड़-खाबड मार्ग को पार कर गांव पहुंचना सभी काम-काज छोड़ कर नगाड़ा स्थल पर पहुँच होता है। इस गांव में यात्रियों की भीड़ को देखते हुए जाता है।
प्राशा है। सरकार इस गांव के लिए पक्की सड़क बनाने नगाडे का उपयोग गांव पर संकट अथवा किसी की ओर शीघ्र ध्यान देगी। विशेष अवसर पर किया जाता है। यह नगाड़ा जैन देवा- रेल और सडक दोनों ही मार्गों से सानोली गांव लय के निकट ही रखा है।
पहुंचा जा सकता है । सानोली गांव हरियाणा के बावल कुछ ग्रामीणों ने कहा-हम लोग अपने गाँव सानोली रेलवे स्टेशन से १० मील दूर है। बावल से सानोली के का नाम बदल कर देव भूमि रखना चाहते है। इस गाँव लिए सवारी मिल जाती है। राजस्थान में प्रजरका रेलवे की भूमि पर देवताओं का वास है। ७० वर्ष पूर्व भी स्टेशन सानोली से प्राठ मील दूर स्थित है। अजरका से यहाँ पहाडी के निकट भगवान विष्णु की एक विशाल ऊँटों पर सानोली पहुंचा जा सकता है। सानोली से १८ पत्थर की मूर्ति जमीन में दबी मिली थी। उक्त मूर्ति मील दूर खरतल रेलवे स्टेशन है। जहां से सानोली के यहां एक मंदिर में प्रतिष्ठित है।
के लिए सवारियां मिल जाती हैं। सानोली दिल्ली से पिछले दिनों गांव के पांच वृद्धों-बाबा बहराम, ७३ मील दूर है । तथा मोटर-कार व जीप द्वारा भी बाबा किशनलाल, बाबा हरपाल, बाबा रामचन्द्र पौर पहुंचा जा सकता है । बाबा बुधराम ने जैन प्राचार्य श्री विमल सागर जी के