Book Title: Ambad Charitram
Author(s): Muniratnasuri, Vijayjinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ तृतीय अम्बडचरित्रम् आदेशः // 26 // ते सर्वेऽम्बडसिद्धस्य शासनं मेनिरे ततः। गृहीत्वा सोऽपि सर्वस्वं व्योम्ना रथपुरे ययौ // 23 // अन्धारिकासहितसैन्यकलत्रयुक्तः, कृत्वोपदां सकलवस्तु ननाम तां च / कार्य स्खया भवति गोरखयोगिनीतो लेभेऽम्बडो जगति वीरपदं यतश्च // 24 // कलत्रनवकोपेतः समेतः स्वपुरेऽम्बडः / श्रीमद्गोरखयोगिन्या मान्योऽसौ सुखमन्वभूत् // 25 // // इति श्री अम्बडकथानके गोरखयोगिन्या द्वितीयादेशः सम्पूर्णः // 2 // --* (5)*-- // अथ तृतीयादेशः // | समये तृतीयादेशं प्रवेशमिव सम्पदः / ययाचे सोऽपि लोभीव पुनर्गोरखयोगिनीम् // 1 // न्यगदत् योगिनी साधुः साधुः सत्त्वधरोऽम्बडः / हे वीर ! सिंहलद्वीपे सोमचन्द्रनृपोऽभवत् // 2 // 1 // 26 //

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