Book Title: Ambad Charitram
Author(s): Muniratnasuri, Vijayjinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 79
________________ अम्बड चरित्रम् षष्ठ आदेश: // 75 // योगी जगाद नरनायक ! पश्य रम्भा-स्तम्भ विदारय तथा नृपतिश्चकार। मध्यात्ततो निरगमन्नवयौवनस्त्री, दृष्ट्वा सभानरपतिश्च चमच्चकार // 30 // इन्द्रजालमथो सत्यं राजा पप्रच्छ योगिनम् / उवाच स च राजेन्द्र ! सत्यमेतत् कथां शृणु // 31 // राजन् ! राजपुराधीशो मणिवेगाख्यखेचरः। रत्नमाला सुता तस्य तद्योग्यवरचेतसः // 32 // वां तस्या रमणं योग्यं ज्ञात्वा तां स्तम्भगर्भगाम् / विधायानयमत्राहं त्वं युधिष्ठिरसत्त्यवाक् // 33 // वाचा सबल हे राजन् ! प्रसिद्धिस्तव सर्वतः / स्वीकुर्यास्त्वं ततः पूर्व मदीयवचनं कुरु // 34 // राजा जगाद योगीन्द्र ! कार्यं वद विधीयते / सोऽवदद्रिषकुम्भाभो-मुखे मधुपिधानकः॥ 35 // परकार्यकराः स्वल्पा निजकार्यकरा घनाः / धन्यस्त्वमेव राजेन्द्र ! त्वया राजन्वती मही // 36 // कृष्णाष्टमीदिने सन्ध्या-समये सावधानतः / श्रीपर्णिका नदीतीरे विद्यां साधयतो मम // 37 / / सातव पुत्रिका साधं वं भवोत्तरसाधकः / वचनं देहि मे राजन् प्रमाणमिति सोऽवदत् ॥३८॥युग्मम् // मुग्धत्वादिति राजानं पातयित्वा वचश्छले / ययौ योगी यथास्थानं श्रुत्वा दूयन्ति मन्त्रिणः॥३१॥ // 75 //

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