Book Title: Ambad Charitram
Author(s): Muniratnasuri, Vijayjinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ अम्बड सप्तम आदेश: जित्वा यवनराजानं परिणिन्ये प्रभावतीम् / महामन्त्रेण यश्चक्रे ज्वलन् सप्पं फणीश्वरम् // 7 // || दत्त्वा सांवत्सरं दानं मत्वा भवस्वरूपकम् / प्रव्रज्य जितकामोऽयं केवली प्राप नि तिम् // 7 // चरित्रम् अवतारजन्मदीक्षा केवलनिर्वाणपञ्चकल्याणी। श्रीपार्श्वजिनेन्द्रस्य प्रोक्ता यदाजहंसेन // 76 // // 66 // || इति श्रुत्वाऽम्बडो भक्त्या प्रणनाम पुनर्जिनम् / कृत्वा पूजां नवनवैः स्तवनैः स्तौति साञ्जलिः // 7 // यदृष्टिः करुणासमुद्रलहरी स्पष्टा च सौम्यं मुखं, रूपं सर्वजनाभिराममतुलं शान्तो रसो मूर्तिमान् / आपजन्मजराविपत्तिहरणो योऽचिन्त्यचिन्तामणिः, स श्रीपार्श्वजिनेश्वरो विजयते त्रैलोक्यचूडामणिः // 7 // // इति श्रुत्वाऽम्बडस्तत्र पवित्रमानसो मुदा / श्रपूर्व नाटकं चक्रे यद्विद्याधरमोहनम् // 7 // ततः पप्रच्छ तं हंसं सप्रशंसं स चाम्बडः / किमर्थमहमानीतः स स्माह शृणु चान्यदा // 80 // चूडामणि पोऽकार्षीद भोजनं च विनार्चनम् / प्रमादो हि महावैरी छलान्वेषी शरीरिणाम् // 81 // | // 16 //

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