Book Title: Ambad Charitram
Author(s): Muniratnasuri, Vijayjinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 101
________________ अम्बडचरित्रम् समप्त आदेश: // 7 // यतः-मज्ज विसयकसाया निद्दा विकहा य पश्चमी भणिया। एए पंच पमाया जीवं पाडंति संसारे // 2 // ____ आलसनिदा अनंतभय-गेहदुछंडी नारि / लच्छि भणइ सुपनंतरी नावु तेह घरिचारि // 3 // तत्क्षणं भूपतेविद्या-भ्रष्टत्वं समजायत / हाहाकारस्तदा जज्ञे य आधारः स चापतत् // 8 // आराधितस्ततो देवः प्रत्यक्षो धरणोऽभवत् / मौनेन स्थम्भवत्तस्थौ जल्पितोऽपि न जल्पति // 5 // अदृश्योऽजनि तत्कालं धरणेन्द्रस्तदा क्रुधा / ततश्चूडामणेर्भार्या सर्वाहारं न्यषेधयत् / / 86 // यतः-प्रीणाति यः सुचरितैः पितरं स पुत्रो, यद्भत्तुरेव हितमिच्छति तत्कलत्रम् / तन्मित्रमापदि सुखे च समक्रियं य-देतत् त्रयं जगति पुण्यकृतो लभन्ते // 87 // एकविंशति वासरान् बभूवोपोषिता च सा / धरणेन्द्रो ददौ स्वप्नं तस्यै मृतकमूर्तये // 8 // मया हि नियमो नीतः कर्तुमस्य प्रतिक्रियाम् / तपसस्ते प्रभावेन वक्ष्ये रुग्नाशपद्धतिम् // 8 // सोपारकपुरासन्ने वने देवभ्रमाभिधे / आगतोऽस्त्यम्बडो वीर थानेतव्यः स एव हि // 10 // श्री करिष्यति प्रतीकारं निर्विकारी नृपो भवेत् / इत्युक्त्वाऽजनि सोऽदृश्यः स्वप्नदृष्टं तयाऽकथि // 11 // तदर्थं त्वं मयानीतो गम्यते तत्र सम्प्रति / अग्निमध्येन मार्गेण तौ गतौ तत्पुरं रयात् // 12 // | // 7 //

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