Book Title: Ambad Charitram
Author(s): Muniratnasuri, Vijayjinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ अम्बडचरित्रम् सप्तम आदेश: // 10 // जीवितव्यं गृहीत्वा रे क्व यास्यसि ममाग्रतः / सेनानीः सभयं नष्ट्वा भूपतेः शरणं गतः // 15 // राजाऽपि सन्मुखोऽधावत् हन्यतां हन्यतामयम् / इत्युक्तैः सुभटैमुक्ता बाणाः प्राणहराश्च ये // 16 // | त एव तस्य वपुषि वज्रवन्न लगन्ति च / राजा दध्यौ न सामान्यो योगी कः सिद्धपूरुषः // 17 // | मुमुक्षुर्यावता बाणं त्राणं पुत्र्याश्च भूपतिः / तावता योगिना सर्वे स्तम्भिता विद्यया भटाः // 18 // | दृश्यन्ते ते स्थिता ध्याने चित्रेषु लिखिता इव / सङ्गता योगिराजस्य पुरतः सेवका इव // 11 // | तदा योगी समुत्थाय नृपतेः मौलिमध्यतः। पच्छेटकश्च जग्राह न जीवग्राहकः स च // 120 // | कृतकार्यस्ततः पश्चादा-गत्य समुपाविशत् / विलोकन्ते जनाश्चित्र विचित्रं दम्भवैभवम् // 21 // सा राजा च स्तम्भिता योधाः प्रसारितदृशस्तथा / पश्यन्ति विस्मिता यदत् मूषकाः पीतपारदाः // 22 // | अन्ये साञ्जलयः पौरा विज्ञप्ति तस्य कुर्वते / प्रकटीभव हे सिद्ध ! प्रसीद मुकलं कुरु // 23 // विहाय योगिनो रूपं स्वरूपं कृतवान् कृती / पुनामोहिता कन्या यया दृष्टो हि तादृशः // 24 // मुच्यतां नाथ ! मे तातो विज्ञप्त इति कन्यया / अम्बडस्तम्भनादाजा राजवर्ग व्यमोचयत् // 25 // // 10 //

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