Book Title: Ambad Charitram
Author(s): Muniratnasuri, Vijayjinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 99
________________ अम्बड सप्तम चरित्रम् आदेश: पञ्चपर्वसु चैतेषु स्नात्रपूजाविशेषतः / अग्रे श्रीपार्श्वनाथस्य कर्तव्यं नाटकं मुदा // 3 // यः कुर्यात्तस्य साम्राज्यं सुखं निर्विघ्नमन्वहम् / पुण्यैर्दोषा विलीयन्ते मारुतैरिख रेणवः // 6 // विना पूजां विना नृत्यं ये करिष्यन्ति भोजनम् / विद्याभ्रशश्च कुष्टित्वं तेषां भवति निश्चितम् // 65 // इति तेषां ह्यसौ दण्डः प्रचण्डः कर्णकोटरे / धरणेन्द्रो ददौ शिक्षा प्रजानामिव राजवत् // 66 // | धरणेन्द्रः पुनः स्नेहात् चूडामणिनृपस्य च / सिंहासनं महास्फारं चन्द्रकान्तमणीमयम् // 6 // तस्यासनाय दत्त्वाऽसौ जगाम भुवनं निजम् / तदाहि खेचराः कुर्युः स्नात्रपूजादि नाटकम्॥६॥युग्मम् श्रूयते च धोङ्काराः श्रीपार्श्वभवनेऽधुना। अम्बडः प्राह हे हंस ! गम्यते तत्र वीक्षितुम् // 6 // | प्रमाणमिति मार्गेण वह्निमध्येन तौ गतौ / प्रासादे पार्श्वदेवस्य प्रतिमां वीक्ष्य हर्षितौ // 7 // | अम्बडः पृष्टवान् हंसमेतद्देवस्य लक्षणम् / कीदृशं मित्र ! जानासि तदा मे वद सोऽवदत् // 71 // काश्यां पुराश्वसेनस्य नृपस्य तनयोजनि / चतुर्दशमहास्वप्न-ज्ञातसर्वज्ञतागुणः // 72 // वामाकुक्षिभवो नील-वर्णो नवकरोन्नतः / कमठस्मयहन्ताऽयं स्वामी भुजगलाञ्छनः // 73 // // 5 //

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