Book Title: Ambad Charitram
Author(s): Muniratnasuri, Vijayjinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 98
________________ सप्तम अम्बडचरित्रम् आदेश: // 4 // विषमं वीक्ष्य संसारं सारं सुकृतमेव च / तस्मात्तदेव कर्त्तव्यं मोक्तव्यं शोककारणम् // 53 // इत्थं प्रबोध्य धरणः शोकं च निरवर्त्तयत् / जातमात्रं सुतं राज्ये स्थापयत्तस्य भूपतेः // 54 // धरणेन्द्रः स्वयं तत्र धात्रीरूपेण तस्थिवान् / त्रिवर्षं पालयामास प्रेमतः कृपयाऽथवा // 55 // नामचूडामणिं तस्मै ददौ धरणनायकः / तत्तस्य राज्यरक्षार्थं पातालनगरं व्यधात् // 56 // | अग्निकुण्डस्य मध्येन गन्तु तत्र पथं व्यधात् / शत्रूणां गोत्रिणां चैव दुर्लङ्घय जायते यतः॥४७॥ | तत्र पातालनगरे चूडामणिनरेश्वरः। विमुच्य सुन्दरं पुरं वसति स्म जनस्ततः // 58 // प्रासादं रचयामास महोत्तुङ्ग सतोरणम् / प्रतिमां पार्श्व देवस्या-ऽस्थापयद्धरणनायकः // 5 // ____ अनादिसिद्धा जगति प्रसिद्धा, प्रदत्तकामा महिमाभिरामा। कल्याणकी जनविघ्नहन्त्री, श्रीपार्श्वदेवप्रतिमा विभाति // 6 // उच्चैरुवाच धरेणेन्द्रो भो भोः शृण्वन्तु खेचराः। त्रयोविंशतितीर्थेश-प्रतिमाा निरन्तरम् // 61 // जन्मतो लघवो वृद्धा अनु षोडश वत्सरीम् / चतुर्दश्यष्टमीराकाऽमावास्यापञ्चमाष्वहो // 62 // // 14 //

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