Book Title: Ambad Charitram
Author(s): Muniratnasuri, Vijayjinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 84
________________ षष्ठ अम्बर चरित्रम् आदेशः // 80 // | अन्यदा पश्चिमे यामे रजन्यां वासवेश्मनः / अनुक्त्वा रत्नवत्याश्च निरगात् यत्नतोऽम्बडः // 82 // | अतिक्रान्तः पथः कूर्मकरोडिनगरं ययौ / विप्रं सोमेश्वरं गेहं सोऽपृच्छवनपालकम् / / 83 // अजल्पत् सोऽपि हे पान्थ, सोमेश्वरसमा द्विजाः। अत्रैव बहवः सन्ति किमभिज्ञानमस्ति ते // 4 // न वेत्ति तच्च मौनेन जगाम नगरान्तरे / कामदेवस्य भवने स्थितो रात्रौ च सुप्तवान् / / 85 // नायाति निद्रानयनेऽम्बडस्य, सोमेश्वरस्यैव हि चिन्तयाऽपि / प्रासादमध्ये वनिता च काचित्, समागता तावदपश्यदेषः // 86 // शनैः 2 तच्चरितं विलोकते, प्रासादमध्यादरपुत्रिका त्रयी। स्त्रीरूपमादाय समागमत्तदा, तां कन्यकां प्रीतिभरादवोचत // 7 // हे चन्द्रकान्ते ! कथमद्य रात्रौ, विकालमागादद सा जगाद। राजालयात् हे सखि ! साम्प्रतं मे, तातो हि सोमेश्वर आजगाम // 8 // उत्सूरं तेन मे जातं पुत्रिकाभिः ततः समम् / चन्द्रिका नर्तितुं लग्ना कामदेवाग्रतो मुदा // 8 // // 0 //

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