Book Title: Ambad Charitram
Author(s): Muniratnasuri, Vijayjinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 89
________________ षष्ठ आदेश: | क्रियते तव विज्ञप्ति-विनयेन सुदेववत् / प्रज्ञप्तिप्रमुखा विद्या यस्य स्यात्स महाधनी // 32 // अम्बड ___उक्तञ्च-न चौरहार्य न च राजपाद्य, विदेशगमने न च भारवाहम् / चरित्रम् एतद्धनं सर्वधनप्रधानं विद्याधनं सत्पुरुषा वहन्ति // 33 // | इष्टाऽसौ मम पूज्योऽपि सोमेश्वरपुरोहितः / चन्द्रकान्ता सुता तस्य तत्सखी पुत्रिकात्रयी // 34 // ताः चतस्रो मृगी रूपा विरूपा केन निर्मिता / कुरु स्वभावरूपेण-दास्यामो वाञ्छितं तव // 35 // | राज्यार्द्ध राजकन्या च दातव्या देवसुन्दरी / इति राजवचो नीत्वा सोऽवददर्शयन्तु ताम् // 36 // समेहि सोमेश्वरवेश्मनीह, जाता कुरङ्गी तनया सुरङ्गी। उक्ते सति क्षमापतिना तदैवं, तत्रागमत् सच्छकटीस्थितोऽयम् // 37 // || तयोपलक्षितः सोऽयं सचिह्न पञ्चशीर्षकम् / कथितं भोः कृतं भव्यं वयं लोके हि लजिताः // 38 // || अम्बडः प्राह हे चन्द्र-कान्ते ! मम समर्पय / सर्वार्थशङ्करं दण्डं सर्वकार्यस्य साधकम् // 3 // १.न चौरहार्य न राजहार्य न भ्रातृभाज्यं न च भारकारी / व्यये कृते वर्द्धति नित्यमेव, विद्याधनं सर्वधनप्रधानम्-इत्यन्यत्र / // 5 //

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